कुंदन कुमार/ पटना। राजद प्रदेश कार्यालय के कर्पूरी सभागार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में युवा राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव विधायक कारी मो. शोहैब, राजद प्रवक्ता एजाज अहमद और पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने मदरसा बोर्ड के शताब्दी समारोह को लेकर नीतीश कुमार और जदयू पर बड़ा हमला बोला। नेताओं ने आरोप लगाया कि मदरसा बोर्ड ने करोड़ों रुपये खर्च कर जदयू और भाजपा के नेताओं का प्रचार किया, लेकिन मदरसा शिक्षकों की समस्याओं को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।
प्रेस की आज़ादी का मजाक
कारी शोहैब ने कहा कि वर्ष 2022 में ही मदरसा बोर्ड के 100 वर्ष पूरे हो चुके थे, फिर भी 2025 में शताब्दी समारोह का आयोजन कर करोड़ों की सरकारी राशि बर्बाद की गई। इस कार्यक्रम में शिक्षकों को जबरन बुलाया गया और मदरसों में छुट्टी की घोषणा की गई। यहां तक कि उर्दू अखबारों से धमकी भरे पत्राचार कर मुफ्त में विज्ञापन छपवाया गया, जो लोकतंत्र और प्रेस की आज़ादी का मजाक है।
भाजपा के एजेंडे पर कर रही काम
राजद नेताओं ने नीतीश कुमार पर भाजपा और आरएसएस को खुश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह से समारोह आयोजित किया गया, उससे साफ है कि जदयू अब पूरी तरह भाजपा के एजेंडे पर काम कर रही है। उनका कहना था कि मदरसा शिक्षकों की प्रमुख समस्याओं — वेतन भुगतान में देरी, मेडिकल सुविधा की कमी, बहाली में ठप स्थिति, ईपीएफ का लाभ न मिलना, और हाफिज़ शिक्षकों को चपरासी से भी कम वेतन जैसी गंभीर मुद्दों पर सरकार खामोश है।
शिक्षकों का वेतन दो सालों से है बंद
एजाज अहमद ने कहा कि 205 मदरसों के शिक्षकों का वेतन दो सालों से बंद है, जिससे वे भूखमरी की स्थिति में हैं। वहीं, 2020 से मदरसों में नई बहाली बंद होने के कारण सैकड़ों मदरसे बंद हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जांच के नाम पर मोटी रकम वसूल रही है और मदरसा प्रबंध समितियों के संवैधानिक अधिकारों (अनुच्छेद 29-30) को छीना जा रहा है।
राजद नेताओं ने किया ऐलान
मुजाहिद आलम ने कहा कि यह साफ हो गया है कि नीतीश कुमार न पहले सेक्युलर थे, न अब हैं और न ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा की गोद में बैठकर नीतीश सरकार धार्मिक संस्थाओं की पहचान मिटाने की दिशा में काम कर रही है। राजद नेताओं ने ऐलान किया कि इस तरह की नीतियों के खिलाफ पार्टी सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेगी।
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