मुंबई. बरसात (1949), आवारा (1951), बूट पॉलिश (1954), श्री 420 (1955) और जागते रहो (1956), मेरा नाम जोकर (1970) और बॉबी (1973) जैसे कालजयी फिल्में जिस आरके स्टूडियो में बनी थी, वह आखिरकार बिक गया. गोदरेज प्रापर्टीज ने करीबन 200 करोड़ रुपए में स्टूडियो खरीदा है. गोदरेट प्रापर्टीज अब यहां लक्जरी अपार्टमेंट बनाएगी, जिसका एक बड़ा हिस्सा राज कपूर और उनकी कृति को समर्पित रहेगा.

आरके स्टूडियो को बेचने को लेकर कपूर्स परिवार में सब दुखी हैं. राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर ने एक मैग्जीन से चर्चा करते हुए बताया कि स्टूडियो बेचने का दुख है, लेकिन उनके लिए अब नया स्टूडियो स्थापित करना संभव नहीं है. रोड और ट्रेफिक की जैसी स्थिति है, आज कोई भी चैंबूर स्थित इस स्टूडियो में कोई शूटिंग के लिए नहीं आना चाहता. कलाकार फिल्म सिटी जाना पसंद करेंगे. इसलिए हमें भारी दिल के साथ आरके स्टूडियो को बेचने का निर्णय लिया. हमारा पूरा परिवार दुखी है, लेकिन और कोई रास्ता नहीं है.

रणधीर कपूर बताते हैं कि 2017 में आग लगने से स्टूडियों के स्वाहा होने के बाद उसे जमींदोज करने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं था. यह हम लोगों के लिए पैसों से ज्यादा भावनात्मक नुकसान था. आग में राज कपूर से जुड़ी सारी स्मृति चिन्ह हमने खो दिया. जो भी राज कपूर ने बनाया था, सब स्वाहा हो गया.

आगजनी के बाद आरके स्टूडियो को बेचने का फैसला बीते साल लिया गया. इस पर ऋषि कपूर बताते हैं कि पूरे परिवार ने मिलकर प्रापर्टी को बेचने का निर्णय लिया. हालांकि, कुछ समय के लिए हमने स्टूडियों को फिर से बनाने पर विचार किया, लेकिन हमेशा राख से उठ खड़ा होना संभव नहीं होता है. हम कपूर्स काफी भावुक लोग हैं, लेकिन स्टूडियो को फिर से खड़ा करने के लिए पर्याप्त पैसा हम इकट्ठा नहीं कर पाए. विश्वास किजिए हमने बेचने से पहले बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखा और संतुलित फैसला लिया है. आगजनी से सालों पहले आरके स्टूडियो आरके स्टूडियो बड़ा सफेद हाथी साबित हो रहा था.

जानिए आरके स्टूडियो का इतिहास

मुंबई के चेंबूर इलाके में फिल्म निर्माता-निर्देशक राज कपूर ने 1948 में किया था. पहली फिल्म आग बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम हो गई थी. स्टूडियो को पहचान बरसात, आवारा और जागते रहो जैसी फिल्मों की सफलता की बदौलत मिली. आवारा को तो न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. स्टूडियो सितंबर 2017 में आगजनी का शिकार हो गया. इसमें न केवल स्टूडियो जला, बल्कि दशकों के फिल्मी खजाना भी जलकर खाक हो गया. राज कपूर की मौत के बाद उनके बेटे रणधीर कपूर, ऋषि कपूर, राजीव कपूर और बेटियां रितु नंदा और रीमा जैन के पास मालिकाना हक था. 2.2 एकड़ में फैले इस स्टूडियों के 33 हजार स्क्वेयर मीटर क्षेत्र में अब गोदरेज प्रापर्टीज अपार्टमेंट और लक्जरी रिटेल शॉप बनाएंगी.