गरियाबंद। देवभोग क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत धुर्वापारा से मगररोड़ा तक सवा करोड़ की लागत से बनी 2 किमी की सड़क एक बार फिर निर्माण गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रही है. मार्च 2023 में तैयार हुई यह सड़क बारिश के दूसरे सीजन में पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. करीब आधी सड़क से डामर उखड़ चुका है और कई हिस्सों में बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं, जिनसे रोजाना राहगीर हादसों का शिकार हो रहे हैं.


स्थानीय लोगों का आरोप है कि सड़क निर्माण में बेसवर्क, क्यूरिंग व जीएसबी लेयर में घटिया मटेरियल का उपयोग किया गया और वाइब्रो रोलर का पर्याप्त उपयोग नहीं हुआ. इसी वजह से पहली बारिश के बाद ही सड़क की परतें उखड़ने लगी थीं. दूसरी बरसात के बाद हालत इतनी बदतर हो गई कि दुपहिया वाहन चालकों को बेहद सावधानी से गुजरना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने कई बार सरकारी शिविरों में आवेदन देकर मरम्मत की मांग की, लेकिन मेंटेनेंस अवधि होने के बावजूद ठेका कंपनी हमारा कंस्ट्रक्शन द्वारा अभी तक किसी प्रकार का सुधार कार्य शुरू नहीं किया गया है. ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार को विभागीय संरक्षण मिला हुआ है.
इंजीनियर का दावा: 12 टन क्षमता की सड़क पर 30 टन के वाहन चलाए जा रहे
मामले में विभागीय इंजीनियर सौरभ दास ने सफाई देते हुए कहा कि जल्द ही सड़क की मरम्मत कराई जाएगी. उन्होंने बताया कि सड़क की डिजाइन ग्रामीण मानक के अनुसार अधिकतम 12 टन भार क्षमता को ध्यान में रखकर बनाई गई है, लेकिन इस मार्ग से ओडिशा जाने वाले लगभग 30 टन भार वाले भारी वाहन गुजर रहे हैं, जिससे सड़क इतनी जल्दी खराब हुई है. दास ने कहा कि रोजाना 50 से अधिक भारी वाहन और निर्माण कार्य में लगे हाईवा ट्रक इन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिससे संरचना पर अतिरिक्त दबाव पड़ा और सड़क तेजी से क्षतिग्रस्त होती गई.
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