Rohini Vrat 2025: जैन धर्मावलंबी पूरे श्रद्धा और विधि-विधान के साथ 7 नवंबर, शुक्रवार को रोहिणी व्रत का पालन करेंगे. यह व्रत जैन परंपरा में अत्यंत पवित्र माना गया है, जो मन, वचन और कर्म की पवित्रता से जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है.
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रोहिणी व्रत का महत्व
यह व्रत मुख्यतः श्वेतांबर जैन समुदाय में मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य, पारिवारिक समृद्धि और संबंधों में सौहार्द हेतु उपवास करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी व्रत रखने से जीवन में समृद्धि आती है, परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती हैं. जैन समाज में इसे ‘संकल्प और आत्मशुद्धि का पर्व’ भी कहा जाता है.
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व्रत की विधि
दिन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में स्नान से होती है, तत्पश्चात वसुपूज्य भगवान की स्थापना और पूजा-अर्चना की जाती है. उपवास रोहिणी नक्षत्र खत्म होने तक रखा जाता है. आप चाहें तो इस व्रत को कई वर्षों तक (3, 5 या 7 वर्ष) लगातार पालन कर सकते हैं, और अंत में उद्यापन नामक समापन-क्रिया की जाती है.
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