अविनाश श्रीवास्तव/सासाराम। रोहतास जिले में कांग्रेस पार्टी के भीतर घमासान छिड़ गया है। जिले के कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी के वर्तमान जिलाध्यक्ष अमरेंद्र कुमार पांडे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और पार्टी के 19 में से 12-13 प्रखंड अध्यक्षों के समर्थन से एक नया गुट बना लिया है। इस गुट ने नौहट्टा के प्रखंड अध्यक्ष सत्येंद्र दुबे को कांग्रेस का नया जिलाध्यक्ष घोषित कर दिया है। यह विद्रोह अचानक विस्फोटक रूप ले लिया और पार्टी में गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
सतेंद्र दुबे को स्वघोषित जिलाध्यक्ष घोषित करना
आज सासाराम के जगजीवन आश्रम में आयोजित सम्मान समारोह के दौरान मतदाता अधिकार यात्रा के सहयोगियों को सम्मानित किया जा रहा था। इस कार्यक्रम में कार्यकर्ता दो गुटों में बंट गए और एक गुट ने अमरेंद्र कुमार पांडे के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इस गुट ने सत्येंद्र दुबे को कांग्रेस का नया जिलाध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा और इसे आलाकमान तक पहुंचाने की बात कही।
अमरेंद्र पांडे के खिलाफ खड़ा हुआ गुट
कांग्रेस के वर्तमान जिलाध्यक्ष अमरेंद्र कुमार पांडे के खिलाफ पिछले कुछ महीनों से गुस्से का माहौल बन रहा था लेकिन आज यह स्थिति सार्वजनिक हो गई और कार्यकर्ताओं का गुट विद्रोह के रूप में सामने आ गया। सत्येंद्र दुबे के नेतृत्व में कांग्रेस के कई पुराने कार्यकर्ता और प्रखंड अध्यक्ष इस आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने स्पष्ट रूप से अमरेंद्र पांडे के नेतृत्व को नकारते हुए दुबे को पार्टी का नया जिलाध्यक्ष घोषित किया।
बगावत का कारण और भविष्य की रणनीति
धनंजय मेहता एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने बताया कि इस बगावत का कारण जिले में अमरेंद्र कुमार पांडे का गलत नेतृत्व और पार्टी में बढ़ती अनदेखी रही है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि पांडे ने पार्टी के भीतर एकता बनाए रखने में नाकामयाबी पाई है। इसके परिणामस्वरूप कार्यकर्ता अलग-अलग हो गए हैं और पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है।
सत्येंद्र दुबे का बयान
सत्येंद्र दुबे जो अब तक नौहट्टा के प्रखंड अध्यक्ष रहे हैं ने इस फैसले का समर्थन किया और कहा कि अगर पार्टी आलाकमान उन्हें जिम्मेदारी देता है तो वे कांग्रेस की मजबूती के लिए काम करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक तरीके से बदलाव होना चाहिए और अगर कार्यकर्ताओं की आवाज को सुना जाता है तो पार्टी को फिर से मजबूती मिलेगी।
कांग्रेस आलाकमान का रुख
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस आलाकमान इस विद्रोह पर क्या कदम उठाता है। क्या कांग्रेस हाईकमान इस विद्रोही गुट की मांगों को स्वीकार करेगा या फिर पार्टी के मौजूदा जिलाध्यक्ष को बनाए रखेगा? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे जब आलाकमान अपनी प्रतिक्रिया देगा।
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