रायपुर।  राज्य में रोटा वायरस जनित दस्त से प्रभावित बच्चों में होने वाले मृत्यु को रोकने छत्तीसगढ़ शासन ने टीकाकरण कार्यक्रम प्रारंभ करने का निर्णय लिया है. जिसके तहत प्रदेश के प्रदेश के सभी जिला टीकाकरण अधिकारियों एवं अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण दिये जाने की शुरुआत कर दी गई है. होटल हयात में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

ये है रोटा वायरस

इस खतरनाक वायरस से हमारे देश में प्रति वर्ष लगभग 8.7 लाख से ज्यादा बच्चें प्रभावित होते है जिनमे विशेष रूप से 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दस्त उत्पन्न होता है तथा शरीर में नमक और पानी की कमी होती है. समय पर इलाज नहीं होने की वजह से प्रभावित बच्चों की मृत्यु भी हो सकती है और वर्तमान में देशभर में लगभग 78,000 बच्चें की मृत्यु इससे होती है.

निशुल्क होगा उपलब्ध

6 सप्ताह, 10 सप्ताह एवं 14 सप्ताह की उम्र के बच्चों में लगने वाला यह टीका अब पूर्णतया निशुल्क होगा. सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इसे निशुल्क लगाया जाएगा. विकास खण्ड स्तर के स्वास्थ्य अधिकारियों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (ए.एन.एम., मितानिन, आंगनबाड़ी) का प्रशिक्षण पूर्ण करने के पश्चात, यह टीका जुलाई माह से टीकाकरण कार्यक्रम में उपयोग किये जाने की योजना बनाई गई है.

कार्यक्रम में उपस्थित सचिव, स्वास्थ्य विभाग, निहारिका बारिक सिंह ने प्रशिक्षण को सफल बनाने के लिए उपस्थित प्रतिभागीयों को आवश्यक निर्देश दिये. साथ ही उन्होने इस टीका को डायरिया नियंत्रण कार्यक्रम के परिपेक्ष में एक अति महत्वपूर्ण कदम के रूप से देखने की अपिल की. उन्होंने कहा कि मीजल्स रूबैला टीकाकरण अभियान में विभाग के संबंधित अधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं द्वारा उत्कृष्ट कार्य किये जाने की तर्ज पर रोटा वायरस टीकाकरण को भी सफल बनाया जाएगा. उन्होंने बाल मृत्यु दर में कमी लाने हेतु व्यक्तिगत स्वच्छता, स्तनपान आदि में भी समुदाय को जागरूक करने के लिये स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सघन प्रयास करने के निर्देश दिये.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डा. प्रियंका शुक्ला ने रोटा वायरस वैक्सीन के राज्य में सफल संचालन हेतु आवश्यक मार्गदर्शन दिये तथा जिला स्तरीय एवं विकास खण्ड स्तरीय प्रशिक्षण को सुचारू रूप से किये जाने हेतु निर्देश दिये. समग्र डायरिया नियंत्रण के अंतर्गत आईडीसीएफ कार्यक्रम का भी आयोजन विभाग द्वारा किया जा रहा है.

नई दिल्ली से आए यूनिसेफ के डा. गगन गुप्ता ने राज्य में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिये किये गये प्रयासों की सराहना की. साथ ही उन्होने इसे और सुदृढ़ किये जाने हेतु मार्गदर्शन दिये. बाल मृत्यु के कारणो में निमोनिया, डायरिया तथा मलेरिया प्रमुख कारण है, अतः 5 वर्ष से कम उम्र में होने वाले मृत्यु दर में और अधिक प्रयास किये जाने की उम्मीद की. इस प्रयास में रोटा वायरस टीकाकरण एक महत्वपूर्ण कदम है.

राज्य में इस टीका को स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपयोग किये जाने वाले प्रयासों में सहयोगी संस्थाओं यथा जे.एस.आई, यूनिसेफ, विश्व सवास्थ्य संगठन, यू॰एन॰डी॰पी॰ आदि का सहयोग दिया जा रहा है.