गोविंद पटेल, कुशीनगर. कुशीनगर लोकसभा की तत्कालीन राजनीतिक परिदृश्य चर्चाओं पर बात करें तो भाजपा कुशीनगर में बड़े कद के नेता और पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह को राज्यसभा भेज चुनावी समीकरण साधने में लगी है. लोकसभा में सामान्य वर्ग से प्रत्यासी उतार दूसरे तबके को भी साधने में सफल रहेगी. इसी प्रयोग से बीजेपी विधानसभा चुनाव में सभी वोटरों को साधने में सफल रही और विधानसभा में कुशीनगर के सातों सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही.

2022 के विधानसभा के चुनाव से ऐन वक्त पूर्व आरपीएन सिंह को अपने पाले में लाकर जातीय समीकरण साधते हुए कुशीनगर के सातों विधानसभा सीट पर परचम लहराया और जीत हासिल की तभी से कुशीनगर की जनता यह कयास लगा रही थी कि बीजेपी अपना 24 के लोकसभा प्रत्याशी आरपीएन सिंह को ही घोषित करेंगी. बीजेपी के इसी रणनीति और इस परिस्थिति को देख विपक्षी दलों के लिए बड़ी चुनौती थी. इसी को देखते हुए विपक्षी दलों में कोई लोकसभा में आगे आने को तैयार नहीं था और नहीं किसी भी नेता में कोई चुनावी सुगबुगाहट नजर आ रही थी. और नहीं कोई समाजवादी पार्टी का नेता चुनावी कैंपेनिंग ही कर रहा था. तो वहीं बीजेपी लगातार चुनाव प्रचार संगठन के कार्यक्रम करने में लगी रही और चुनावी समीकरण साधने में लगी रही. जिससे विपक्षी दल के नेताओं के हौसले पस्त थे. उस परिस्थिति और दौर में समाजवादी पार्टी से डॉ. परशुराम पटेल लगातार समाजवादी पार्टी के संगठन से लेकर सोसल वर्कर का काम करते रहे. समाजवादी पार्टी से टिकट की दावेदारी आलाकमान के सामने पेश कर भावी प्रत्याशी के रूप में लगातार प्रचार प्रसार और संगठन का काम करते हुए कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में लगे रहे. अगर समाजवादी पार्टी डॉ. परशुराम पटेल को लोकसभा प्रत्याशी बनाती है. समाजवादी पार्टी को सफलता मिलने की पूरी उम्मीद है.

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वहीं समाजवादी पार्टी में डाॅ. परशुराम पटेल का नाम सामने आ रहा है और पार्टी पूरी तरह इस पर काम कर रही है इसकी वजह यह है कि परशुराम पटेल पिछड़े समाज के साथ-साथ वह कुर्मी समाज से आते हैं. जिनका कुशीनगर लोकसभा सीट पर अच्छा खासा प्रभाव है. कुर्मी समाज के वोट की बात की जाए तो इस समाज का वोटर ज्यादातर बीजेपी को ही मतदान करता आ रहा. वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में कुशीनगर के ताकतवर नेता आरपीएन सिंह के बीजेपी में आने से और मजबूती के साथ कुर्मी वोटरों को पार्टी में जोड़ने का काम किया और लोक सभा प्रत्यासी के रूप में उनको कुर्मी वोटर उनको देख रहें थे, क्योंकि वे कुर्मी समाज से आते हैं. लेकिन अब बीजेपी उन्हे राज्यसभा भेजकर उनका कद तो बढ़ाया, लेकिन अब कुर्मी समाज का वोटर अपने को ठगा महसूस कर रहा है.

इस दौर में अगर समाजवादी पार्टी डॉ. परशुराम पटेल को अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाती है. कुर्मी वोटरों को अपने पाले में लाकर वह जातिय समीकरण साधने में सफल हो सकती है और कुर्मी वोटरों की तादात और आंकड़ों की बात की जाए तो लोकसभा में मुस्लिम आबादी के बाद कुशीनगर में दुसरे सबसे बड़े पिछड़ी जातियों की संख्या में कुर्मी हैं. अगर डॉ. परशुराम पटेल को सपा अपना प्रत्याशी बनाती है तो कुर्मी वोटरों को समाजवादी पार्टी अपने पाले में लाकर अपना परचम लहराने में सफल होने की पूरी उम्मीद है और पीडीए का नारा सफल होगा. चूंकि अब कुर्मी कुशवाहा मुस्लिम यादव दलित समाज यह अच्छी तरह से जान चुका हैं भाजपा उनकी हितैषी नहीं हैं और आरक्षण को समाप्त कर रही है. जातीय समीकरण की समीक्षा की जाए तो लोक-सभा में कुर्मी कुशवाहा मुस्लिम यादव दलित वोटरों की संख्या सबसे अधिक हैं. और अगर समाजवादी पार्टी के नेता अगर इस पर काम करना शुरू कर दें तो लोकसभा का चुनावी समीकरण साधने में सफल रहेंगे. बीजेपी के चुनावी समीकरण को बदल उसको चित कर पीडीए सफल हो सकती है.

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