रायपुर. सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदने की योजना रखने वालों के लिए अच्छी खबर आई है. इसमें अब ऐसा नया नियम लाया जा रहा है, जिसकी मदद से अब डीलर और गाड़ी की पहचान आसान होगी, साथ ही चोरी की गाड़ियों को फर्जी तरीके से खरीद/बिक्री पर लगाम लगाने में सहायता मिलेगी.

छत्तीसगढ़ में प्री-ओन्ड वाहनो का बाजार धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है. हाल के वर्षों में ऑनलाइन सेकंड हैंड गाड़ी विक्रेता प्लेटफ़ार्म के आगमन, जो वाहनों की खरीद और बिक्री में शामिल हैं, ने इस बाजार को और बढ़ावा दिया है. वर्तमान पारिस्थितिकी तंत्र में, कई विधिक और वित्तीय मुद्दों का सामना करना पड़ रहा था. बाद के डीलर को वाहन के हस्तांतरण के दौरान, तीसरे पक्ष की क्षति देनदारियों के संबंध में विवाद, डिफॉल्टर आदि के निर्धारण में कठिनाई हो रही थी.

रायपुर प्री ओन्ड डीलर एसोसिएशन की तरफ से काफी समय से मांग की जा रही थी कि सेकंड हैंड वाहन विक्रेता को भी नए वाहन विक्रेता की तरह ही डीलर का दर्जा दिया जाए. डीलर का दर्जा मिलने से सेकंड हैंड डीलर को गाड़ी खरीदने के बाद स्टॉक में दिखाने या फाइनेन्स लेने में मदद मिलेगी. किसी गाड़ी में एक्सीडेंट होने की दशा में इन्श्योरेंस क्लेम में मदद मिलेगी और डीलर के द्वारा स्टॉक का इन्श्योरेंस भी कराया जा सकेगा. जिससे की किसी तरह के आपदा इत्यादि में कोई नुकसान होने से स्टॉक के नुकसान की भरपाई हो सके. सेकंड हैंड वाहन विक्रेता अब क्रेता से गाड़ी खरीद कर कानूनी रूप से अपने पास स्टॉक में रख सकेगा और जरूरत के अनुसार उस गाड़ी के समस्त कार्य जैसे की के नवीकरण या पंजीयन प्रमाण पत्र के नवीकरण या पंजीयन प्रमाण पत्र की दूसरी प्रति, अनापत्ती प्रमाणपत्र, बीमा या वाहन के स्वामित्व में अंतरण करने के लिए आवेदन देने के लिये सक्षम होगा.

इसी तरह गाड़ी खरीदने वालों के लिए भी अब आसान होगा कि वो अधिकृत सेकंड हैंड गाड़ी विक्रेता को चिह्नांकित कर सकते हैं. इससे टैक्स डिफॉल्ट गाड़ी, चोरी की गाड़ी या अन्य विवाद से बचा जा सकेगा और किसी प्रकार की समस्या होने से आरटीओ कार्यालय से डीलर के संबंध में जानकारी ली जा सकेगी. इन सब फायदों को देखते हुए और पंजीकृत गाड़ी के खरीदी बिक्री को पारदर्शी करने के लिए ही परिवहन विभाग छत्तीसगढ़ के द्वारा केंद्र शासन को सेकंड हैंड गाड़ी विक्रेता को भी डीलर के रूप में अधिकृत करने के लिए लेख किया गया था. इसके बाद केंद्रीय मोटर वाहन रूल, 1989 के चैप्टर III में बदलाव किया गया है. यह नया नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू होगा. इसके जरिए प्री-ओन्ड वाहन मार्केट के इकोसिस्टम को मजबूत करने की कवायद हो रही है. अब प्री-ओन्ड गाड़ी के बाजार में मुख्य धारा में सम्मिलित होकर वित्तीय सुविधाओं का सीधे लाभ ले सकेंगे.

प्रस्तावित नियमों के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं :

  1. डीलर की प्रामाणिकता की पहचान करने के लिए पंजीकृत वाहनों के डीलरों के लिए एक प्राधिकरण प्रमाणपत्र पेश किया गया है.
  2. इसके अलावा, पंजीकृत मालिक और डीलर के बीच वाहन की डिलीवरी की सूचना देने की प्रक्रिया को विस्तृत किया गया है.
  3. पंजीकृत वाहनों के कब्जे वाले डीलर की शक्तियों और जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट किया गया है.
  4. डीलरों को उनके अधिकार में मोटर वाहनों के पंजीकरण प्रमाण पत्र के नवीनीकरण/फिटनेस प्रमाण पत्र के नवीनीकरण, डुप्लीकेट पंजीकरण प्रमाण पत्र, एनओसी, स्वामित्व के हस्तांतरण के लिए आवेदन करने का अधिकार दिया गया है.
  5. एक नियामक उपाय के रूप में, एक इलेक्ट्रॉनिक वाहन ट्रिप रजिस्टर का रखरखाव अनिवार्य कर दिया गया है, जिसमें की गई यात्रा का विवरण शामिल होगा. यात्रा का उद्देश्य, ड्राइवर, समय, माइलेज आदि का उल्लेख रहेगा.

ये नियम पंजीकृत वाहनों के डीलरों को पहचानने और उन्हें सशक्त बनाने में सहायता करेंगे. साथ ही ऐसे वाहनों की बिक्री या खरीदी के लिए धोखाधड़ी गतिविधियों के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा मिल सकेगी.