Rudrabhishek in Sawan: भोलेनाथ की पूजा में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है, विशेषकर सावन के महीने में, जब भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ समय माना जाता है. आज सावन का सोमवार है. शिवभक्तों के लिए यह दिन आस्था, उपासना और साधना का पर्व है. इस अवसर पर यह प्रश्न अक्सर उठता है कि शिवलिंग पर लघु रुद्राभिषेक करें या महा रुद्राभिषेक? खासकर जब समय कम हो, तो कौन-सा अभिषेक अधिक लाभकारी होता है?
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Rudrabhishek in Sawan
रुद्राभिषेक का महत्व (Rudrabhishek in Sawan)
रुद्राभिषेक का वर्णन वेदों में स्वयं देवताओं द्वारा किया गया है. यह पूजा विधि रुद्रसूक्त अथवा रुद्राध्याय (श्री रुद्रम) के मंत्रों से शिवलिंग का अभिषेक करने की प्रक्रिया है. जिसमें जल, दूध, घी, शहद, दही, बेलपत्र, धतूरा, पुष्प आदि का प्रयोग होता है. इससे जीवन के संकट, रोग, दोष और दुख दूर होते हैं और विशेष रूप से रुद्र तत्व प्रसन्न होते हैं.
लघु रुद्राभिषेक: कम समय में अधिक फल
यदि समय की कमी हो, विशेषकर कार्यरत भक्तों के लिए, तो लघु रुद्राभिषेक करना एक प्रभावशाली और व्यावहारिक विकल्प है. इसमें रुद्र के 11 अध्यायों में से केवल 1 या 2 अध्यायों का पाठ करके अभिषेक किया जाता है.
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महा रुद्राभिषेक: यदि समय, संकल्प और साधन हों (Rudrabhishek in Sawan)
महा रुद्राभिषेक एक विशिष्ट और दीर्घकालिक प्रक्रिया है, जिसमें रुद्राध्याय के सभी 11 अध्यायों का पूर्ण पाठ 11 बार या उससे अधिक बार किया जाता है. यह कई पंडितों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है.
इससे क्या लाभ होता है
जन्मकुंडली के दोषों की शांति होती है. दीर्घकालिक ऋण मुक्ति, रोग निवारण और ग्रह पीड़ा से राहत मिलती है. विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
सावन और सोमवार: विशेष संयोग (Rudrabhishek in Sawan)
सावन के सोमवार को किया गया रुद्राभिषेक, चाहे लघु हो या महा, सामान्य दिनों की तुलना में सैकड़ों गुना फल देता है. शिव पुराण के अनुसार, सावन सोमवार को केवल “ॐ नमः शिवाय” मंत्र के साथ जल अर्पण भी उत्तम फल प्रदान करता है.
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