स्पोर्ट्स डेस्क. भारत के पूर्व ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर पाल सिंह ने पेनल्टी कॉर्नर से गोल करने को लेकर बड़ा बयान दिया है. रूपिंदर का मानना है कि, पेनल्टी कॉर्नर से गोल को रोकना मुश्किल होता जा रहा है. साथ ही उन्होंने भारत के अमित रोहिदास और मनप्रीत सिंह के खेल की तारीफ की है.

भारत के पूर्व ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर पाल सिंह का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय टीमों के लिए पेनल्टी कॉर्नर से गोल करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि खेल में वीडियो विश्लेषण जैसी तकनीक के इस्तेमाल से विरोधी टीमों  की रक्षापंक्ति को मजबूत बना दिया है.

टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे रुपिंदर ने कहा कि हाल के वर्षों में पेनल्टी-कॉर्नर के बचाव में काफी सुधार हुआ है और यही कारण है कि दुनिया भर में ड्रैग-फ्लिकर को गोल करने में परेशानी हो रही है. रुपिंदर ने ओलंपिक के बाद खेल को अलविदा कह दिया था.

उन्होंने कहा, हाल के वर्षों में पेनल्टी कॉर्नर का बचाव करना एक कला बन गया है. हर टीम के पास अब यह अध्ययन करने के लिए वीडियो विश्लेषण है कि विरोधी अपने पेनल्टी कॉर्नर को कैसे लेते है. टीमें यह विश्लेषण करती है कि विपक्षी टीम के ड्रैग फ्लिकर कैसे फ्लिक करती है. उनके तरीके और तकनीक को देखकर वे इसके बचाव के लिए खुद को तैयार करती हैं.

टोक्यो ओलंपिक के दौरान ड्रैग फ्लिक में टीम के मौजूदा कप्तान हरमनप्रीत सिंह के साथ जोड़ी बनाने वाले रुपिंदर ने कहा, भारत के मामले में भी ऐसा ही है. हम पेनल्टी कॉर्नर का बचाव करने में भी बहुत अच्छे हैं, जैसा कि हमने इंग्लैंड के खिलाफ इस विश्वकप में देखा. हमारे खिलाड़ी अमित रोहिदास और मनप्रीत सिंह, बाहर निकलने और कोण को बंद करने के मामले में बहुत तेज हैं.

भारत ने मौजूदा विश्व कप में 16 पेनल्टी कॉर्नर हासिल किये और इसमें से सिर्फ तीन को गोल में बदलने में सफल रहा. पूल चरणों के अंत में 24 मैचों में टीमों ने कुल 130 पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए और इसमें से 43 को गोल में बदलने में सफल रहे. इस 32 साल के पूर्व खिलाड़ी ने कहा, यह विश्व कप है, कोई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट या द्विपक्षीय टेस्ट श्रृंखला नहीं है. हर टीम पेनल्टी कॉर्नर पर अधिक गोल करने की कोशिश करेगी, जबकि विरोधी टीम उसके बचाव की कोशिश करेगी.