महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है. गांधी जी के इस कथन को प्रदेश की भूपेश सरकार चरितार्थ कर रही है. राज्य सरकार की योजनाएं गांवों को आत्मबल दे रही है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों को स्वरोजगार से जोड़कर आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है.

अपना वादा निभाते हुए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार प्रदान कर उनकी आमदनी को बढ़ाने के उद्देश्य से ग्रामीण और कुटीर उद्योग नीति-2022 लागू की गई है. उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में लागू नवीन औद्योगिक नीति, सिंगल विंडो सिस्टम, कच्चे माल की पर्याप्त उपलब्धता के परिणामस्वरूप राज्य में औद्योगिक विकास को गति मिली है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर निर्मित छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति 2019 – 24 निवेशकों को आकर्षित करने में सफल रही है. पिछले चार वर्षों में 2218 नए उद्योग स्थापित हुए हैं. इन उद्योगों में 21 हजार 457 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश हुआ है और 40 हजार से ज्यादा लोगों को स्वरोजगार मिला है. स्थानीय संसाधनों और स्थानीय कौशल से ग्रामीणों को लाभान्वित करने में इस नीति का बड़ा योगदान होगा.

300 रीपा स्थापना की स्वीकृति

राज्य में ग्रामीण और कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन देने के तहत 600 करोड़ रुपये की लागत से 300 रूरल एण्डस्ट्रीयल पार्क (रीपा) की स्थापना को स्वीकृति दी गई है. साथ ही 5 साल के भीतर हर ग्राम पंचायत में एक ग्रामीण औद्योगिक पार्क बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है. इस नीति में छोटे निवेशकों को सेवा क्षेत्र में उद्यम के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. ऐसे विकासखण्डों जिनमें पारंपरिक रूप से ग्रामीण और कुटीर उद्योग प्रचलित है, उन विकासखण्डों को उच्च प्राथमिकता विकासखण्ड के रूप में वर्गीकृत कर सामान्य से अधिक अनुदान प्रदान किये जा रहे हैं. इस नीति के अंतर्गत अनुदान प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक नहीं कि इकाई ग्रामीण क्षेत्र में ही स्थापित हो. ग्रामीण क्षेत्रों की तरह ही शहरी क्षेत्रों में अर्बन इण्डस्ट्रीयल पार्क की स्थापना का कार्य भी किया जा रहा है.

पारंपरिक कलाकारों को मिलेगा नया बाजार

राज्य की पारंपरिक कलाओं जैसे हैण्डलूम वीविंग, मधुमक्खी पालन, लाख, जड़ी बूटी संग्रहण, बेल मेटल, ढोकरा शिल्प, बांस शिल्प, गोबर और गौ मूत्र से बने उत्पाद, वनोपज से बने उत्पाद, अगरबत्ती, मोमबत्ती निर्माण, सिलाई, बुनाई इत्यादि को उच्च प्राथमिकता और प्राथमिकता निर्धारित कर विशेष प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है. इस नीति के तहत महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान है. आईटीआई, पॉलिटेक्निक आदि संस्थाओं में ग्रामीण और कुटीर उद्योग के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी और भविष्य के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाएगी.