चंडीगढ़. शिरोमणि अकाली दल बादल की अब देश की राजनीति में अजीब-सी स्थिति बन गई है. एक समय था कि शिरोमणि अकाली दल कांग्रेस विरोधी खेमे का हिस्सा होता था और कांग्रेस विरोधी पार्टियों के साथ मिलकर चलता था. काफी लम्बा समय शिरोमणि अकाली दल भाजपा के नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस का साथी रहा और इस एलांयस के साथ मिलकर चुनाव लड़ता रहा लेकिन अब शिरोमणि अकाली दल न तो एनडीए में है और न ही वह कांग्रेस द्वारा बनाए गए इंडिया गठजोड़ का मैंबर है. एक तरह से देश की राजनीति में शिरोमणि अकाली दल अलग-थलग पड़ गया है.
पिछले विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने बसपा के साथ गठजोड़ किया था और मिलकर चुनाव लड़े
थे. बसपा को एक सीट पर जीत हासिल हुई थी और शिअद को 3 सीटों पर विजय हासिल हुई थी. लेकिन अब शिरोमणि अकाली दल बसपा के साथ भी नहीं है. कुछ दिन पहले बसपा ने शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर बादल लिया था, क्योंकि तब शिरोमणि अकाली दल का नेतृत्व भाजपा के साथ गठजोड़ करने की कवायद में लगा हुआ था लेकिन अब यह गठजोड़ की संभावना भी लगभग खत्म हो गई है, क्योंकि भाजपा ने 6 सीटों के लिए पंजाब में लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. अभी तक शिरोमणि अकाली दल ने अधिकारिक तौर पर किसी भी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया, लेकिन लग रहा है कि बठिंडा से हरसिमरत कौर बादल चुनाव लड़ेंगी. संगरूर से परमिंदर सिंह ढींडसा चुनाव लड़ेंगे. आनंदपुर साहिब से प्रेम सिंह चंदूमाजरा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन इस सीट के लिए डा. दलजीत सिंह चीमा भी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं और उन्होंने भी चंदूमाजरा के समानांतर चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है.
पिछले लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा में गठजोड़ था. तब शिरोमणि अकाली दल ने 10 सीटों से और भाजपा ने 3 सीटों से चुनाव लड़ा था. लेकिन इस बार गठजोड़ नहीं हो सका. भाजपा के साथ शिअद ने किसान आंदोलन के दौरान नाता तोड़ लिया था. हालांकि दोबारा दोनों पार्टियों में गठजोड़ करने के लिए काफी कोशिशें की गईं, लेकिन वह सफल नहीं हुईं. कांग्रेस के साथ शिअद का शुरू से ही राजनीतिक विरोध रहा है और कभी भी 1966 के साथ दोनों पार्टियों में गठजोड़ नहीं हुआ और दोनों पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ बड़ा तीखा चुनाव प्रचार करती रही हैं. हालांकि इस बार इंडिया गठजोड़ में बहुत सी क्षेत्रीय पार्टियां हैं, लेकिन इस गठजोड़ में शिअद को शामिल नहीं किया गया. जहां तक कि इंडिया गठजोड़ की किसी बैठक में भी शिअद के नेतृत्व को बुलाया नहीं गया.
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