लुधियाना. भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन न होने से लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल की राह मुश्किल होती नजर आ रही है. विधानसभा चुनाव 2022 से पहले अकाली-भाजपा गठबंधन टूटा तो चुनाव में अकाली दल के वोट प्रतिशत के साथ-साथ सीटों में भारी गिरावट आई. वहीं गठबंधन टूटने के बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा के वोट प्रतिशत में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई हालांकि उसके बाद भी एक सीट का नुकसान हुआ.

लोकसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियां अब अलग-अलग ही चुनाव मैदान में उतरेंगी तो अकाली दल के लिए अपना वोट प्रतिशत में बढाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. विधानसभा चुनाव 2017 में अकाली दल और भाजपा ने गठबंधन में चुनाव लड़ा तो अकाली दल को 25.4 फीसदी वोट के साथ 15 सीटें मिली. वहीं भाजपा को 5.4 फीसदी वोट के साथ तीन सीटें मिली थी. विधानसभा चुनाव 2022 में अकाली दल व भाजपा ने अलग अलग चुनाव लड़ा. अकाली दल के वोट प्रतिशत में 2017 के मुकाकले 6.9 फीसदी की गिरावट हुई. अकाली दल को 18.5 फीसदी वोट मिले और पार्टी को महज तीन सीटें मिली.

वहीं भाजपा को 2017 में 5.4 फीसदी वोट के साथ दो सीटें मिली. इससे पहले दोनों पार्टियों ने दो बार लगातार सरकार बनाई थी. अकाली दल के वोट प्रतिशत में 2007 विधानसभा चुनाव से लगातार कमी आ रही है. 2019 लोकसभा चुनाव अकाली-भाजपा ने गठबंधन में चुनाव लड़ा और अकाली दल को 27.8 फीसदी वोट मिले और पार्टी को दो सीट मिली.

सुखबीर बादल ने संभाला मोर्चा

अकाली दल के खिसके जनाधार को फिर से पार्टी के साथ जोड़ने के लिए पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल इन दिनों पंजाब में पंजाब बचाओ यात्रा निकाल रहे हैं. लोकसभा चुनाव तक सुखबीर बादल पंजाब के सभी हलकों में यात्रा करेंगे. सुखबीर बादल पार्टी छोड़ चुके नेताओं को दोबारा पार्टी से भी जोड़ रहे हैं. सुखदेव सिंह ढींडसा की पार्टी अकाली दल में विलय हो चुकी है जबकि जगीर कौर का निष्कासन वापस लेकर उन्हें भी पार्टी में शामिल किया जा चुका है.

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