रायपुर। भीमा कोरेगांव की हिंसा के मामले में श्री शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के संस्थापक संभाजी भिड़े और हिंदू एकता अघाड़ी मिलिंद एकबोटे पर पुणे के पिंपरी पुलिस स्टेशन में केस दायर किया गया है. फिलहाल दोनों फरार हैं.
भीमा कोरेगांव की हिंसा के बाद अचानक संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे चर्चा में आ गए हैं और देशभर में लोगों को जिज्ञासा है कि आखिर ये दोनों हैं कौन.. हालांकि महाराष्ट्र राज्य में ये मजबूत पकड़ रखते हैं और बेहद जाना-माना नाम हैं.
संभाजी भिड़े की एक आवाज़ पर जमा हो जाता है युवा
संभाजी भिड़े महाराष्ट्र में कोई अनजाना नाम नहीं है. 85 साल के भिड़े आरएसएस के प्रचारक हैं. वे न्यूक्लियर फिजिक्स में एमएससी हैं और पुणे के फर्गुसन कॉलेज में प्रोफेसर भी रह चुके हैं. संभाजी भिड़े ने 1980 के दौर में शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान नाम की एक संस्था बनाई.
संभाजी भिड़े सतारा, सांगली और कोल्हापुर इलाकों में गुरुजी के नाम से मशहूर हैं. इन्हें साइकिल चलाना पसंद है. यहां तक कि इन्होंने अपना मकान तक नहीं बनवाया है. इनकी संस्था का काम शिवाजी महाराज के बारे में लोगों को बताना है और उनके भाषण अल्पसंख्यकों के खिलाफ होते हैं. संभाजी के एक आह्वान पर हजारों युवा जमा हो जाते हैं.
पीएम मोदी भी मानते हैं संभाजी भिड़े को
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक संभाजी भिड़े को गुरूजी कहते हैं और उन्हें काफी मानते हैं. यहां तक कि 2014 में सांगली दौरे पर मोदी ने कहा था कि ‘मैं सांगली खुद से नहीं आया, बल्कि भिड़े गुरुजी के हुक्म पर आया हूं और वे हम सबके लिए एक आदर्श के समान हैं.’
कौन हैं मिलिंद एकबोटे?
56 साल के मिलिंद एकबोटे भी आरएसएस से जुड़े हुए है. वे 1997 से लेकर 2002 तक पार्षद भी रह चुके हैं. 2007 में एकबोटे चुनाव हार गए. उन्होंने 2014 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के टिकट पर भी चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वे हिंदू एकता मंच नाम का संगठन चलाते हैं.