रायपुर- छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों की सालों पुरानी संविलियन की मांग जल्द पूरी कर दी जायेगी,बशर्ते मध्यप्रदेश सरकार इस संबंध में सभी तकनीकी खामियों को दूर करने का रास्ता निकालकर वहां के शिक्षाकर्मियों का विधिवत संविलियन कर दे.यह जानकारी राज्य शासन में उच्च पद पर पदस्थ सूत्र ने दी है.लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में इस अधिकारी ने कहा कि “हम तो पूरी तरह से मध्यप्रदेश शासन के निर्णय का इंतजार कर रहें हैं कि वे किस फार्मूले के तहत शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर रहें हैं और जैसे ही मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया जायेगा,उसी फार्मूले को हंम कॉपी-पेस्ट कर यहां भी संविलियन कर देंगे.”

सूत्र ने कहा कि हाईपॉवर कमेटी भी इसी वजह से अपना काम निर्धारित समयावधि में पूरा नहीं कर पा रही है,क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लिये जाने वाले फैसले के बाद उन्हें निष्कर्ष निकालने में आसानी होगी.उन्होनें बताया कि 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन के तहत शिक्षाकर्मी मूल रुप से पंचायत विभाग और नगरीय निकाय विभाग के कर्मचारी हैं,जिनकी नियुक्ति पंचायत और नगरीय निकायों द्वारा की गई है.चूंकि संविधान की व्यवस्था के तहत पंचायत और स्थानीय निकायों को स्वायत्तता प्राप्त है,जिसके चलते इनके द्वारा नियुक्त कर्मचारियों पर राज्य शासन का कोई कानूनी अधिकार नहीं है.

सूत्र ने कहा कि राजस्थान में संविलियन का प्रारुप बिलकुल भिन्न तरीके का है,जिसका छत्तीसगढ़ में अनुपालन करना संभव नहीं है,इसलिये अब हम पूरी तरह से मध्यप्रदेश शासन के फैसले का इंतजार कर रहें हैं.चूंकि छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश से ही शुरु हुई थी,इसलिये मध्यप्रदेश सरकार के फैसले के आधार पर ही छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बारे में निर्णय लेना तर्कसंगत होगा.