संदीप सिंह ठाकुर, लोरमी. किसी गांव का विकास समुचित तरीके से हो सके इसके लिए सरकार ने पंचायतों को अधिकार दिया है जिससे देश के हर गांव का अंतिम छोर तक विकास अच्छे से हो सके और कोई भी गांव विकास से अछूता न रहे. लेकिन जब पंचायत के प्रतिनधि ही गांव के विकास के लिए मिले पैसों से सिर्फ अपना ही विकास कर ले और पूरी राशि को फर्जी तरीके से डकार ले तब इस देश के अंतिम व्यक्ति तक विकास को पहुँचाना मुश्किल ही नही नामुनकिन हो जायेगी. इसकी बानगी देखने को मिली लोरमी ब्लॉक के धरमपुरा ग्राम पंचायत में, जहां ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव ने मिलकर पूरी योजना की राशि को डकार लिया और फर्जी तरीके से चौदहवें वित्त की 15 लाख की राशि डकार ली. सीईओ ने शिकायत सही पाई, अब जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई करने की कह रहे बात.

चौदहवें वित्त का 15 लाख रुपए डकारा

मुंगेली जिले के लोरमी ब्लॉक के धरमपुरा ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी. बिना काम किए ही चौदहवें वित्त का 15 लाख रुपये डकार दिया और गांव में एक भी काम नहीं कराया. इतना ही नहीं गांव की गलियों में सीसी रोड और मुरुम डालने के नाम से लाखों रुपये निकाले, लेकिन मुरुम एक पैसे का भी नहीं डलवाया जितने पैसे मुरुम डालने के नाम से फ़र्ज़ी तरीके से निकाले गए है. अगर उन पैसों का गांव में मुरुम डलवाया गया होता तो पूरा गांव मुरुम से पट गया होता.

फर्जी प्रस्ताव बनाकर लाखों का होता है गोलमाल

वार्ड पंच महेंद्र कोशल और ग्रामीण कृष्ण कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि गांव के विकास और मूलभूत काम कराने के लिए सरकार हर ग्राम पंचायतों को वहां की जनसंख्या के हिसाब से विकास कार्य करने के लिए लाखों रुपये देती है. ऐसे ही धरमपुरा ग्राम पंचायत को भी 2 साल में पन्द्रह लाख रुपए मिला था. जहां सरपंच ने फर्जी प्रस्ताव बनाकर लाखों रुपये निकाल लिए. वहीं मुरुम डालने के नाम पर अलग अलग व्यक्तियों के नाम 5 लाख का चेक काट दिया और उसकी राशि आहरण कर ली. जबकि मुरुम का एक दाना गांव में नहीं गिरा. वैसे ही हैंडपम्प में सबमर्सिबल पम्प डालने के लिए लाखों रुपये निकाले वहीं नाबालिग बच्चे के नाम से मुरुम ट्रांसपोर्ट करने के नाम पर लाखों का पैसा आहरण कर लिया. ऐसे व्यक्तियों के नाम से मुरुम ढुलाई का पैसा निकाला गया है जिनके पास ट्रेक्टर तो दूर मोटर सायकिल भी नहीं है.

महिला सरपंच पर देवर का चलता है हुकूमत

ग्राम पंचायत धरमपुरा में आज भी वहां की गलियों में कीचड़ बजबजा रही है. गली में न तो सीसी हुआ है न ही मुरुम डाला गया है. गांव के उपसरपंच ने बताया कि वहां सरपंच फर्जी तरीके से पंचो का साइन कर प्रस्ताव बना लेता है और फ़र्ज़ी व्यक्तियों के नाम से चेक काट कर पैसे आहरण भी कर लेता है. उपसरपंच कार्तिक राम ने बताया कि सरपंच महिला है लेकिन उसका देवर भी एक सरपंच का सील जेब में लेकर घूमता है पूरा पंचायत वहीं चलाता है विकास की पूरी राशि सरपंच के द्वारा भ्रष्टाचार कर गबन कर ली गई है. आज भी ये गांव विकास से कोसो दूर है.

जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की बात

बड़ा सवाल ये है कि कैश बुक में भुगतान राशि का एक भी बिल नहीं लगाया गया है और पूरी राशि निकल गई. इस बात की शिकायत सीईओ और कलेक्टर से की गई, तो उन्होंने एक जांच टीम बनाकर ग्राम पंचायत भेजा जहां जांच टीम ने शिकायत को सही और सरपंच सचिव को दोषी पाया है. वहीं जनपद पंचायत लोरमी के सीईओ लक्ष्मीकांत कौशिक ने बताया कि शिकायत सही पाई गई है अब जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

अब सवाल ये उठता है कि जांच अधिकारी अपनी जांच रिपोर्ट कब तक देंगे और किस तरह की कार्रवाई अधिकारियों के द्वारा की जाएगी. क्योंकि औऱ भी कई ऐसे पंचायत है जहां की जांच रिपोर्ट तो अधिकारियों को सौपी गई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं सिर्फ लीपापोती का काम किया गया. ऐसे भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों के खिलाफ प्रशासन को कड़े रुख कब अपनाएगी ये तो आने वाला वक्त की बताएगा.