Satuvai Amavasya 2024 : वैशाख अमावस्या हिंदू नववर्ष की पहली अमावस्या कहलाती है. इसे सुतवाई अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन सत्तू खाने और सत्तू दान करने का बहुत अधिक महत्व है. वैशाख का महीना पूजा पाठ और दान आदि के कार्यों के लिए बहुत ही विशेष बताया गया है.
वैशाख मास की अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि और एकादशी की तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. वैशाख मास की अमावस्या की तिथि में पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है. इसके साथ इस दिन किए गए दान का विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
पितृ पूजा से मिलता आशीर्वाद (Satuvai Amavasya 2024)
8 मई 2024 की अमावस्या तिथि पर की जाने वाली पूजा से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता के अनुसार इस दिन चावल से बने पिंड का दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. जिन लोगों की जन्म कुंडली में पितृ दोष की स्थिति बनी हुई है. वे लोग इस दिन पितरों को प्रसन्न रखने के लिए पूजा अवश्य करें. अमावस्या के दिन पीपल या बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाएं. इसके बाद माथे पर केसर का त इलक लगाएं और श्री हरि विष्णु का जाप करें. वैशाख अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को अन्न, नमक, गुड, छाता, सफेद कपड़े आदि दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
चावल से बने सत्तू का दान
इस दिन पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध में चावल से बने पिंड का दान किया जाता है और चावल के ही आटे से बने सत्तू का दान किया जाता है. इससे पितृ खुश होते हैं. चावल को हविष्य अन्न कहा गया है यानी देवताओं का भोजन, चावल का उपयोग हर यज्ञ में किया जाता है.चावल पितरों को भी प्रिय है. चावल के बिना श्राद्ध और तर्पण नहीं किया जा सकता. इसलिए इस दिन चावल का विशेष इस्तेमाल करने से पितर संतुष्ट होते हैं. सनातन परंपरा में इस दिन न सिर्फ सत्तू के दान बल्कि सत्तू के सेवन का शुभ फल बताया गया है. सतुवाई अमावस्या का न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिष महत्व भी है. ज्योतिष की दृष्टि से पितृदोष और कालसर्प दोष दूर करने वाली शांति पूजा के लिए सतुवाई अमावस्या को बेहद शुभ माना गया है.
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