नई दिल्ली. तलाक (Divorce) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार वह अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए “शादी के अपरिवर्तनीय टूटने” के आधार पर विवाह को तुरंत भंग कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को व्यवस्था दी कि वह जीवनसाथियों के बीच आई दरार भर नहीं पाने के आधार पर किसी शादी को खत्म करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल कर सकता है.
कोर्ट ने कहा है कि टूट के कगार पर पहुंची शादी जिसमें सुधार की गुंजाइश न बची हो (इरिट्रीवबल ब्रेक डाउन ऑफ मैरिज) इस आधार पर तलाक हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा है कि शीर्ष अदालत ऐसे मामले में तलाक का आदेश पारित कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि तलाक के मामले में छह महीने का जो कूलिंग ऑफ पीरियड है, वह पहले के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के हिसाब से केस टू केस निर्भर करेगा.
बता दें कि 12 सितंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपसी सहमति से तलाक के मामले में अगर दोनों पक्षों में समझौते की गुंजाइश न बची हो तो छह महीने की कुलिंग (वेटिंग) पीरियड को अदालत खत्म कर सकती है.
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