रायपुर. रमन सरकार ने 22 अनुसूचित जनजाति और 5 अनुसूचित जाति की मात्रात्मक गलतियों को ठीक करने का फैसला लिया था. जिसके बाद अब इन जातियों को जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा सकेगा. इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी कर दिया है. इस निर्णय के बाद प्रदेश के लाखों लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा.

आदेश में कहा गया है कि अंग्रेजी में अनुसूचित जनजाति एवं अनु​सूचित जाति नामों का हिन्दी में उच्चारणगत विभेद (Phonetic Values) मान्य किया जायेगा. इस आदेश के साथ उन जातियों के अंग्रेजी और हिन्दी नाम का भी उल्लेख किया गया है.

गौरतलब है कि पूर्व में मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में इन जातियों की मात्रात्मक गलतियों को सुधारने का निर्णय लिया गया था. इसके अंतर्गत राज्य में अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत 42 जाति समूह और अनुसूचित जाति के अंतर्गत 44 जाति समूह अधिसूचित किए गए हैं. यह अधिसूचना भारत सरकार के राजपत्र में हिन्दी और अंग्रेजी में प्रकाशित है. इनमें से कई जातियों के नामों में उच्चारण भेद पाए जाते हैं, जो इनके ही स्थानजनित उच्चारणगत विभेद हैं. चूंकि मूल रूप से यह अधिसूचना अंग्रेजी भाषा और लिपि में जारी हुई है तथा इसका हिन्दी अनुवाद सिर्फ हिन्दी अधिसूचना के रूप में जारी हुआ है. अतः उच्चारण भेद के कारण मूल अनुसूचित जनजाति और मूल अनुसूचित जाति के लोगों को जाति प्रमाणपत्र उनके जनजाति अथवा अनुसूचित जाति का होने के बाद भी जारी नहीं हो पा रहा था.

आपको बात दे कि लंबे अरसे से अनुसूचित जाति और जनजाति की बड़ी आबादी को आरक्षण समेत दूसरी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसकी वजह है कि उनकी जातियों के नाम की स्पैलिंग अलग है. जो सरकारी दस्तावेज़ में दर्ज नाम से मेल नहीं खाते. इसे लेकर पिछले दिनों महासमुंद जिले में सावरा समाज के लोगों ने बड़ा प्रदर्शन किया था.