Supreme Court: भूमि अधिग्रहण के एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने अहम आदेश पारित किया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि भारत-चीन सीमा के पास भूमि अधिग्रहण मुआवजा नहीं बढ़ेगा। इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल में अधिग्रहीत भूमि पर गौहाटी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक भी लगा दी। पूरा मामला अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास रक्षा संबंधी परियोजना के लिए 537 एकड़ भूमि अधिग्रहण का है। शीर्ष अदालत में दो जजों की खंडपीठ ने मुआवजे को बढ़ाने संबंधी आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी।

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पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र ने पीठ को बताया कि लाभार्थियों को मुआवजा पहले ही दिया जा चुका है और जमीन का अधिग्रहण भी कर लिया गया है, लेकिन बाद में एक व्यक्ति ने पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर संदर्भ मामला दायर कर दिया। इसने कहा कि पहले सभी लाभार्थियों के लिए लगभग 70 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था, लेकिन अक्टूबर 2024 में संदर्भ मामले में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश द्वारा इसे बढ़ाकर 410 करोड़ रुपये से अधिक कर दिया गया।

केंद्र ने शीर्ष अदालत में तर्क दिया कि संदर्भ एक “धोखाधड़ी” पर आधारित था और व्यक्ति ने 100 से अधिक व्यक्तियों की “फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी” बनाई थी। इसने कहा कि सरकार ने संदर्भ मामले में पारित आदेश के संचालन पर रोक लगाने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

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50 प्रतिशत रकम तीन महीने के भीतर जमा करने का निर्देश

सरकार ने संबंधित मामले में पारित आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। केंद्र ने कहा कि उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि संदर्भ मामले में पारित आदेश इस शर्त के अधीन स्थगित रहेगा कि बढ़ाई गई राशि का 50 प्रतिशत तीन महीने के भीतर जमा किया जाए। सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी, जिसने मामले की सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की।

शीर्ष अदालत ने पाया कि केंद्र के वकील ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि सरकार 10 प्रतिशत सिक्योरिटी डिपोजिट के रूप में जमा करने के लिए तैयार थी, लेकिन अपील के निपटारे तक संवितरण को वापस लेने का कोई आदेश नहीं होना चाहिए।

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प्रतिवादियों को नोटिस जारी, 18 अगस्त को अगली सुनवाई

शीर्ष अदालत में दो जजों की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद शुक्रवार को पारित आदेश में कहा, प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाए। विवादित आदेश के क्रियान्वयन पर इस शर्त पर रोक रहेगी कि याचिकाकर्ता (केंद्र) हाईकोर्ट के समक्ष की गई अपनी पेशकश पर अमल करते हुए चार सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में बढ़ी राशि का 10 प्रतिशत जमा करें। शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के अक्तूबर 2024 के आदेश पर भी रोक लगा दी और मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अगस्त की तारीख निर्धारित की।

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