दिल्ली. देश के सबसे गर्म सियासी और धार्मिक मुद्दे राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर देश की सबसे बड़ी अदालत में आज से सुनवाई शुरू हो रही है. रंजन गोगोई के चीफ जस्टिस बनने के बाद राम मंदिर मामले की सुनवाई के लिए तीन जजों की नई बेंच का गठन किया गया है. जिसमें सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस कौल और केएम जोसेफ शामिल हैं.
सबकी नजरें आज सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई हैं क्योंकि अब रोजाना इस मुद्दे पर सुनवाई होगी और दोनों पक्षों की दलली पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस पर ऐतिहासिक फैसला सुनाएगी.
2019 के लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ महीने ही रह गए हैं. ऐसे में देश के साधु संतों ने सत्ताधारी पार्टी भाजपा पर राम मंदिर के निर्माण के लिए दबाव बढ़ा दिया है. जिसकी तपिश एनडीए सरकार तक में महसूस की जा रही है. साधु संत ही नहीं बीजेपी की मातृ संस्था के तौर पर जाने जाने वाली राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भी कह चुके हैं कि अब सरकार को राम मंदिर के निर्माण के लिए गंभीरता से सोचना चाहिए और इसके लिए कानून भी लाया जा सकता है. उनके बयान के बाद देश में राम मंदिर पर राजनीति और तेज हो गई है.
अब देखने वाली बात यह है कि आज से अयोध्या मसले में शुरु हो रही रोजना सुनवाई के कितने दिनों बाद इस पर फैसला आता है और किसके पक्ष में आता है. विशेषज्ञों और रिपोर्ट्स की माने तो इस मामले की सुनवाई 60 दिनों तक चल सकती है जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के जज किसी फैसले तक पहुंचेंगे.