लोकेश प्रधान, बरमकेला। स्वच्छ भारत अभियान को तार-तार करते हुए ग्राम सरपंच और सचिव ने 189 शौचालयों में से महज 92 शौचालय गांव को ओडीएफ घोषित करा लिया. इसके साथ शेष रह गए 97 शौचालयों की रकम डकार गए. अपने ही प्रतिनिधि के हाथ ठगे गए ग्रामीण अब कार्रवाई की मांग को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं. इस आंदोलन के बीच शुक्रवार को एसडीएम चंद्रकांत वर्मा पहुँचे. उन्होंने ग्रामीणों से आंदोलन खत्म करने को कहा, लेकिन ग्रामीण कार्रवाई की मांग को लेकर डटे रहे. एसडीएम ने कहा कार्रवाई की जाएगी. भरोसा रखिए. हालांकि ग्रामीणों को पहले कार्रवाई करिए फिर आंदोलन खत्म होगा.

दरअसल, बरमकेला जनपद क्षेत्र के ग्राम पंचायत खैरगढ़ी में स्वच्छ भारत अभियान के तहत पात्र लोगों के घरों में 189 शौचालय का निर्माण करना था, लेकिन सरपंच-सचिव ने मात्र 92 शौचालय बनाकर ग्राम पंचायत को ओडीएफ घोषित करा दिया. जो शौचालय बनाये गए वे भी बहुत घटिया स्तर के हैं. ग्रामीणों की माने तो शौचालय बनने के बाद अब तक उपयोग भी नहीं हुआ है. 189 शौचालय में से मात्र 92 बनाने के बाद शेष शौचालय की राशि का सरपंच हितासिनी साहू और सचिव ने मिलकर हजम कर दिया. इसकी भनक लगने पर गांव के जागरूक ग्रामीणों ने शिकायत जनपद से लेकर जिला पंचायत सीईओ तक की, लेकिन जांच किसी ने नहीं की.

ग्रामीणों ने इसके बाद कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर जांच कर कार्रवाई की मांग रखी. इस पर जांच तो शुरु हुई, लेकिन महीनों बाद भी आज तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है. प्रशासन के लचर रवैये से आक्रोशित ग्रामीण अब हड़ताल पर बैठ गए हैं. पिछले चार दिनों से ग्रामीण दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हुए हड़ताल कर रहे हैं. शुक्रवार को सारंगढ़ एसडीएम आईएएस चंद्रकांत वर्मा, बरमकेला तहसीलदार राकेश वर्मा के साथ मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को हड़ताल खत्म करने कहा, लेकिन ग्रामीण दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते रहे.

एसडीएम वर्मा ने ग्रामीणों की मांग पर तंज कसते हुए कहा कि इंसान को जब बुखार होता है, तो सीधे कैंसर का इलाज नहीं कराया जाता. हाथ में चोट लगती हैं तो सीधे हाथ को नहीं काटा जाता। उन्होंने यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट देखने के बाद नियमानुसार सब पर कार्रवाई की जाएगी. इस पर ग्रामीणों ने कहा कि जब कैंसर हो तो हाथ काटना ही पड़ता है. ग्रामीण अपनी मांग को लेकर अड़े हैं आंदोलन पर बने हुए हैं.