बिलासपुर। मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने आज कोटा विकासखंड के विभिन्न गौठानों का भ्रमण किया। उन्होंने गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन का जायजा लिया और गौठानों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ाकर इन्हें ग्रामीण उद्योग पार्क के रूप में विकसित करने की संभावनाओं पर चर्चा की। इस दौरान उनके साथ कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर भी उपस्थित थे।

प्रदीप शर्मा आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत मोहदा और कंचनपुर के गौठानों में पहुंचे। ग्राम मोहदा के गौठान में गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन को देखा। यहां 15 वर्मी टैंक और 5 नाडेफ टैंक में वर्मी कम्पोस्ट खाद का प्रगति स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने अभी तक 31 क्विंटल वर्मी खाद बनाया, जिसमें से 20 क्विंटल खाद वन विभाग को बेचा भी है। पशुओं को अजोला चारा उपलब्ध कराने के लिए भी 5 टैंक बनाये गये हैं। शर्मा ने स्व सहायता समूह की महिलाओं और चरवाहों से चर्चा की। चरवाहों से पूछा कि उन्हें गोबर का पैसा मिला है या नहीं। गौठानों में ग्रामीणों द्वारा लाये जाने वाले गोबर को सुरक्षित तरीके से रखने के उपायों पर उन्होंने जोर दिया। वनांचल के इस गौठान में लघु वनोपज लाख, हर्रा, बहेरा और बीज प्रोसेसिंग की संभावनाओं पर भी वन मंडलाधिकारी से चर्चा की। उन्होंने कहा कि बायो डायर्सिटी के लिये गौठानों में प्रयास किया जा सकता है।

ग्राम कंचनपुर के गौठान में गोबर से वर्मी खाद निर्माण को देखा और उसकी गुणवत्ता को परखा। यहां 15 वर्मी टैंक और 5 नाडेप टैंक में अभी तक 55 क्विंटल खाद तैयार किया जा चुका है। गौठान में तीन महिला स्व-सहायता समूह सक्रिय हैं जो खाद बनाने के साथ-साथ गौठान की बाड़ी में सब्जी उत्पादन कर रही हैं। शर्मा ने गौठान में बनाये गये चारागाह और बाड़ी का अवलोकन किया। महिला स्व-सहायता समूहों से चर्चा की और उनकी समस्याओं की जानकारी ली। महिलाओं से उन्होंने कहा कि वे अपने घरों में भी बाड़ी लगायें। सब्जी उत्पादन के लिये गौठान के वर्मी खाद का ही उपयोग करें ताकि ग्रामीणों को भी ऐसा करने की प्रेरणा मिले। चरवाहों से बातचीत के दौरान पता चला कि प्रत्येक चरवाहे को गौठान से प्रतिदिन लगभग 300 किलो गोबर मिल जाता है। यहां पर एक चरवाहे की औसत मासिक आय 18 हजार रुपये हो रही है। चरवाहों से कहा कि गायों की मन लगाकर सेवा करें क्योंकि इन्हीं से उनको आजीविका मिल रही है।