गोविन्द पटेल, कुशीनगर. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्राइवेट विद्यालयों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए कानून बना कर कड़ी से कड़ी कार्यवाई करने के निर्देश भले ही दे रहे हो, लेकिन इसका असर धरातल पर बिलकुल नहीं हो रहा है. भ्रष्ट अधिकारीयों के मिलीभगत से प्राइवेट स्कूल संचालक मनमानी पर उतारू हो गए है. स्कूल संचालक मनमानी करके महंगी फीस की वसूली कर छात्रो का नाम काट कर बाहर निकाल दे रहे हैं. शिक्षा को व्यवसाय के रूप में परिवर्तित कर अकूत धन कमाने पर आमादा ये मनबढ़ स्कूल संचालक सभी नियम व कानून को ताक पर रख दिए हैं. ऐसा ही एक मामला कुशीनगर जनपद के हाटा स्थित संत पुष्पा इंटर कालेज से सामने आया है. जहां बच्चों के भविष्य पर चौपट का ठप्पा लगाकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है.

पूरा मामला सुनने के बाद आपका भी खून खौल जाएगा. क्योंकि 100 से भी अधिक छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए विद्यालय प्रशासन ने नाक काट कर बाहर निकाल दिया है. आइए अब आपको कुशीनगर जनपद के हाटा तहसील क्षेत्र के ढाढा स्थित संत पुष्पा इंटर कालेज की मनमानी की कहानी विस्तार से बताते हैं. दरअसल यह स्कूल अपने अजीबो गरीब हरकत से हमेशा चर्चाओं में बना रहता है. जिम्मेदार अधिकारीयों के गलबहियां रवैये को इस स्कूल के प्रबंध तंत्र हथियार बनाकर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है. इस स्कूल के जिम्मेदारों पर कोई कार्यवाई न होने से इनका मनोबल बढ़ता जा रहा है. जिससे संत पुष्पा इंटर कालेज छात्रो से मनमाना महंगी फीस की वसूली कर नर्सरी से 9वीं व 11वीं तक की पढाई कराकर उनके भविष्य पर चौपट का ठप्पा लगा दिया है.

नर्सरी से अबतक 10 से 12 साल तक पढ़ाने के बाद यह विद्यालय बच्चों के भविष्य को चौपट करने का प्लान तैयार कर स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. संत पुष्पा इंटर कालेज बच्चों का नाम काटकर टीसी देते हुए यह बताया है कि ये बच्चे अयोग्य है. इस पर भी छात्रों के अभिभावकों को ध्यान देना चाहिए कि जिन बच्चों को 10 से 12 साल तक पढ़ाने के बाद जो स्कूल स्वयं अयोग्य घोषित कर रहा है तो विद्यालय की योग्यता पर सवाल खुद ही खड़ा हो रहा है. फिलहाल यह बात अलग है, लेकिन 9वीं और 11वीं के बच्चों को इस समय स्कूल से निकालने पर उनका समय काफी बर्बाद हो जाएगा और उनका एडमिशन दूसरे स्कूल में कैसे हो पाएगा. इस बात पर स्कूल प्रबंधन व सम्बंधित अधिकारीयों को जरूर ध्यान देना चाहिए.

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मनमानी का आलम यह है कि स्कूल प्रबंधन को पैसे कमाने के आगे बच्चों के चौपट हो भविष्य पर ध्यान नहीं जा रहा है और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने में साथ दे रहे हैं सम्बंधित अधिकारी तभी तो अबतक जिम्मेदारों पर कोई कार्यवाई नहीं की गई. संत पुष्पा इंटर कालेज ढाढा की मनमानी पर छात्रों के अभिभावक बहुत नाराज है और अपने बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित भी हैं. सभी छात्रों के अभिभावक अलग-अलग अपनी पीड़ा और व्यथा सुना रहे हैं. इसमें मुख्य रूप से कुछ लोगों ने बताया कि स्कूल की सभी डिमांड पूरी करने के बाद भी छात्र कैसे कमजोर हो गए, जब स्कूल को महंगी फीस दिया गया और महंगी-महंगी किताबें भी खरीद कर दी गई.

वहीं किसी ने बताया कि नाम काटकर निकालने के बाद बच्चा अवसाद में चला गया है. वहीं किसी ने कहा कि स्कूल द्वारा पहले किसी भी प्रकार का नोटिस या शिकायत किए बिना अचानक बच्चे का नाम काटकर स्कूल से बाहर कर दिया गया. कुछ अभिभावकों ने बताया कि स्कूल की सभी मांगो को पूरा करके बच्चों को पढने भेजा गया तो स्कूल की भी जिम्मेदारी तय होना चाहिए. फिलहाल अभिभावकों और छात्रों की शिकायत की फेहरिस्त तो बहुत बड़ी है.

इस पूरे मामले पर जिला विद्यालय निरीक्षक रविंद्र सिंह ने बताया कि इस तरह की शिकायत कार्यालय को नहीं मिली है. किसी अभिभावक के द्वारा टेलीफोन पर इसकी जानकारी दी गई है. यदि लिखित शिकायत मिलती है तो टीम बनाकर जांच कराई जाएगी और जो नियमतः कार्यवाई होगी दोषियों के खिलाफ किया जाएगा.

जब मुख्यमंत्री पोर्टल पर अभिभावक द्वारा शिकायत किया गया है तो वो किस विभाग को भेजा गया और यदि शिकायत जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय को भेजा गया तो अधिकारी को पता क्यों नहीं ? और यदि शिकायत मिली है तो क्यों उचित कार्यवाई नहीं की गई है. सिर्फ खानापूर्ति करके छोड़ दिया गया है. जिसके लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर कई लापरवाहों पर अब तक कार्यवाई की जा चुकी है. फिलहाल अब देखना यह है कि इस मामले पर जांच कर उचित कार्यवाई की जाती है या कागजी घोडा दौड़ा कर बच्चों के भविष्य पर चौपट का ठप्प लगाने वाले जिम्मेदारों पर कार्यवाई की जाती है.

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