धरमजयगढ़। यहां के सलखेता गांव में शासकीय प्राथमिक स्कूल के बच्चे हादसे के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. स्कूल भवन बहुत ही ज्यादा जर्जर है, जो कभी भी धराशायी हो सकता है. वहीं यहां न तो ब्लैक बोर्ड है, न टाटपट्टी है, न स्कूल में दरवाजे हैं और न तो खिड़कियां. अब आप समझ ही सकते हैं कि किन हालातों में यहां नौनिहाल पढ़ाई कर रहे होंगे.

हाथियों ने उजाड़ा था स्कूल

दरअसल करीब 3 महीने पहले यहां हाथियों के एक दल ने जमकर उत्पात मचाया था. सलखेता गांव कापू वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आता है. हाथियों के दल ने पूरे गांव को उजाड़ दिया था. कई घरों को तोड़ दिया था. वहीं फसलों को भी नुकसान पहुंचाया था. हाथियों ने शासकीय प्राथमिक शाला को भी तोड़ दिया था, जिसके बाद बच्चों की पढ़ाई के लिए सलखेता के ही दूसरे मोहल्ले में स्कूल की वैकल्पिक व्यवस्था की गई. लेकिन ये स्कूल भवन बदहाल हालत में है और कभी भी कोई हादसा हो सकता है.

कुर्सी-टेबल घर से लाकर पढ़ाई कर रहे हैं बच्चे

वहीं बच्चे कुर्सी-टेबल भी खुद ही घर से ला रहे हैं. इस स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 40 है. स्कूल की हालत देखकर कई बच्चों ने तो यहां पढ़ने के लिए आना छोड़ दिया है. लेकिन फिर भी 15 से 16 बच्चे रोज आ रहे हैं. शिक्षक रूपलाल डनसेना भी मानते हैं कि स्कूल काफी जर्जर है. उन्होंने कहा कि विकासखंड शिक्षाधिकारी धरमजयगढ़ को शिकायत की गई है, लेकिन अभी तक वहां से समस्या दूर करने के कोई उपाय नहीं किए गए हैं.

वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधि भी आंख मूंदे बैठे हैं. शासन-प्रशासन के इस रवैये से साफ पता चलता है कि वे हाथ पर हाथ धरे किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं और एक बार हादसा हो जाने के बाद बस वही जांच के आदेश, मुआवजे की घोषणा तक बात रह जाती है, जबकि जिन माता-पिता के बच्चे चले जाते हैं, उनकी भरपाई कर पाना किसी सरकार के बस की बात नहीं.