पुरुषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। होनहार बिरवान के होत चिकने पात.. गरियाबंद जिले के झरियाबाहरा गांव में रहने वाले गिरधर यादव ने इस मुहावरे को चरितार्थ किया है. कक्षा 8 वीं में पड़ने वाले गिरधर ने उम्र के इस पड़ाव में एक ऐसा बड़ा काम कर दिखाया है जिस उम्र में बच्चों का ध्यान केवल खेलने कूदने जैसे कार्यों पर लगा रहता है. गिरधन ने फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए घर पर ही जैविक लिक्विड बूस्टर तैयार किया है. जिसे फसलों का च्यवनप्राश कहा जा रहा है. गिरधर की बनाई गई जैविक लिक्विड बूस्टर को लेकर दावा किया जा रहा है रहा है कि इसके इस्तेमाल से फसल के उत्पादन में 10 से 25 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है.

आईआईटी दिल्ली में करेगा प्रदर्शित

छात्र की इस उपलब्धि की वजह से उसे राज्य और अंतर्राज्यीय प्रदर्शनी में भाग लेकर इंस्पायर्ड आवार्ड जीत चुका है और अब 15 फरवरी को आईआईटी दिल्ली में अपने उत्पाद का प्रदर्शन करने जा रहा है. गिरधर सरकारी स्कूल में पढ़ता है. वन क्षेत्र में संचालित झरियाबाहरा मिडिल स्कूल से तीन छात्र इंस्पायर आवार्ड हासिल कर चुके हैं. पिछले 10 साल के भीतर यह अवार्ड हासिल करने वाला गिरधर तीसरा छात्र है. उससे पहले दो छात्र ये आवार्ड हासिल कर चुके हैं. स्कूल के शिक्षकों के मुताबिक इसके लिए वे शासन से मिले टॉपिक पर बच्चों से विशेष तौर पर तैयारी करवाते हैं.

लिक्विड बूस्टर के साथ छात्र

सबसे पहले घर में इस्तेमाल

गिरधर के दादा ने दावा किया है कि वे इसका इस्तेमाल घर की बाड़ी में कर चुके है, जिसका अच्छा असर उन्हें देखने को मिला है, आसपास के ग्रामीण सहित बोइरगॉव के मुखिया सुन्दर सिंह ने भी इस किसानों के लिए लाभकारी बताया है.

ऐसे किया जाता है तैयार

गिरधर ने इसे स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक रामजी तिवारी के मार्गदर्शन में तैयार किया है. रामजी तिवारी के मुताबिक इस जैविक खाद में धतूरा, नीम, करेंच की पत्तिया, आंवला, हर्रा, बहेरा के अलावा तीन प्रकार की हल्दियों को मिलाकर इसे तैयार किाय गया है. तिवारी के मुताबकि जब पौधे फल लगने के लिए तैयार हो उसके सप्ताह भर पहले से इस लिक्विड खाद का छिड़काव कीटनाशकों की तरह करना होता है. एक लीटर इस जैविक खाद को 10 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ की फसल में छिड़काव किया जा सकता है. तिवारी का दावा है कि इसके छिड़काव से न सिर्फ फसल-पौधे का उत्पादन बढ़ेगा बल्कि कीटनाशक का भी यह काम करेगा. गिरधर का उत्पाद किसानों के लिए फायदेमंद साबित तो हो ही सकता है. उससे ज्यादा ग्रामीण परिवेश में रहकर शिक्षा अर्जित कर रहे बच्चों के लिए प्रेरणा का काम करेगा.