सत्या राजपूत, रायपुर। राजधानी रायपुर में शुक्रवार सुबह साइंस कॉलेज मैदान स्थित चौपाटी को तीखे विरोध के बीच नगर निगम ने तोड़ दिया। आरोप है कि चौपाटी को अवैध बताते हुए ध्वस्त किया गया, लेकिन करीब 7 करोड़ रुपये की इस परियोजना से जुड़े भ्रष्टाचार, टेंडर गड़बड़ी और जिम्मेदार अधिकारियों–नेताओं पर कार्रवाई अब तक अटकी हुई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जनता के पैसे की बर्बादी का जिम्मेदार कौन है और जांच के नाम पर कब तक सिर्फ बयानबाज़ी जारी रहेगी?

जरूरत पड़ी तो दोषी अधिकारियों पर होगी कार्रवाई – मीनल चौबे
कांग्रेस शासनकाल में बनी इस चौपाटी को अब बीजेपी के नेतृत्व वाली नगर पालिका निगम ने ध्वस्त कर दिया। लेकिन विस्थापित 60 परिवारों की जिम्मेदारी उठाने के नाम पर महापौर मीनल चौबे सिर्फ जांच का राग अलाप रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश और निगम में कांग्रेस की सरकार थी। हमारे बड़े बीजेपी नेताओं ने तब विरोध किया था, बावजूद इसके करोड़ों रुपये लगाकर चौपाटी बनाई गई। जरूरत पड़ी तो दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। अभी जांच चल रही है कि कौन जिम्मेदार है। लेकिन महापौर का यह बयान कि कार्रवाई हुई है या नहीं, जानकारी नहीं सवालों को और गहरा देता है। अगर चौपाटी अवैध थी तो स्मार्ट सिटी अधिकारियों और तत्कालीन नेताओं पर अब तक कोई FIR क्यों नहीं हुई?

टेंडर प्रक्रिया में भी एकाधिकार का आरोप लग रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सिर्फ एक ठेकेदार को मौका मिला और टेंडर तक ठीक से खोला नहीं गया। यह 7 करोड़ का जनता का पैसा कहां गया? रिकवरी की प्रक्रिया क्यों शुरू नहीं हुई?
अगर चौपाटी अवैध थी, तो अब तक एफआईआर क्यों नहीं – नेता प्रतिपक्ष
नगर निगम रायपुर नेता प्रतिपक्ष आकाश तिवारी ने सवाल उठाया है, पिछले तीन-चार सालों से चौपाटी बनी हुई थी। अगर अवैध थी, तो बीजेपी के नेता अब तक एफआईआर क्यों नहीं करा पाए? अब निगम में बीजेपी का राज है, तो कार्रवाई क्यों टल रही है? क्या अधिकारियों को पार्टी बचा रही है? आकाश तिवारी ने सवाल उठाया कि रिकवरी किससे होगी ठेकेदार, अधिकारियों या फिर जनता को ही चूना लगेगा?

जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हुई – नागरिक संघर्ष समिति
नागरिक संघर्ष समिति के पदाधिकारी भी भड़के हुए हैं। उन्होंने कहा अगर जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो हम सड़कों पर उतरेंगे। लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी तो लड़ेंगे। चौपाटी बनाने वाले और तोड़ने वाले दोनों पर सवाल हैं। बनाने वाले भ्रष्टाचार के दोषी क्यों बचे हुए हैं? तोड़ने वालों ने विस्थापित परिवारों का क्या? समिति का आरोप है कि यह पूरा मामला किसे बचाने की कोशिश है, जहां निर्दोष दुकानदार को सजा मिल रही है, लेकिन बड़े खिलाड़ी महफूज़ हैं।

दोहरे चरित्र का आरोप – कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने भी पलटवार करते हुए कहा बीजेपी ने विरोध किया था, लेकिन सत्ता में आते ही भूल गए। यह दोहरा चरित्र है। दूसरी ओर, बीजेपी समर्थक दावा कर रहे हैं कि जांच पूरी होते ही कार्रवाई होगी, लेकिन समयसीमा का कोई वादा नहीं।
सवाल बाकी हैं क्या यह चौपाटी सिर्फ एक स्कैम थी या राजनीतिक लाभ के लिए बनाई गई? 60 परिवारों का विस्थापन तो किया जाएगा , लेकिन भ्रष्टाचार की जड़ें कब उखड़ेंगी? निगम प्रशासन से जबाव चाहिए क्या दोषियों की लिस्ट तैयार है, या यह जांच सिर्फ कागजी है? रायपुर की जनता इंतजार कर रही है, लेकिन निगम इतिहास बताता है कि सरकार किसी का भी हो ऐसे मामलों में कार्रवाई अक्सर वादों तक सिमट जाती है।
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