कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव में भी सिंधिया समर्थकों की दावेदारी देखी जा रही है। यही वजह है की ग्वालियर चंबल अंचल में टिकट बांटना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। पढ़िए ये खास रिपोर्ट…
दरअसल, ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी के पुराने नेताओं के साथ ही सिंधिया समर्थक नेता अंचल की हर सीट पर टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। इन हालातों ने भाजपा की परेशानियां बढ़ा दी है। लोकसभा चुनाव के लिए सिंधिया और उनके समर्थकों की अंदरूनी दावेदारी भी शुरू हो गई है। आइए एक नजर डालते हैं सिंधिया समर्थकों की दावेदारी पर
- ग्वालियर लोकसभा सीट से खुद सिंधिया के चुनाव लड़ने की संभवनाएं
- गुना लोकसभा से सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसोदिया, जजपाल सिंह जज्जी का नाम सुर्खियों में
- मुरैना लोकसभा से गिरिराज दंडोतिया का नाम सुर्खियों में
- भिंड (SC) लोकसभा से इमरती देवी भी चुनाव लड़ने की इच्छुक है, बयान भी दे चुकी हैं।
ग्वालियर चंबल अंचल में हर सीट पर सिंधिया समर्थकों की दावेदारी को लेकर कांग्रेस ने तंज कसा है। कांग्रेस का कहना है कि ग्वालियर चंबल अंचल की चारों सीट पर टिकट को लेकर बीजेपी पशोपेश में है, क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक हर सीट पर अपने लिए टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। इससे पुराने भाजपाइयों के साथ कुठाराघात हो रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता राम पांडेय का दावा है कि बीजेपी की इस अंदरूनी गुटबाजी का फायदा कांग्रेस को मिलेगा।
सिंधिया समर्थक इमरती देवी ने तो लोकसभा चुनाव को लेकर उनके नाम की चर्चाओं पर खुलकर कहा है कि जब तक वरिष्ठ नेतृत्व मुझे आदेश नहीं करेगा तब तक वे कही भी चुनावी जमावट के लिए नहीं जाएंगी। इमरती ने यह भी कहा है कि वे 2014 में कांग्रेस पार्टी के टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है। ऐसे में यदि पार्टी उन्हें जिम्मेदारी देगी तो वे BJP के टिकिट पर जरूर लोकसभा चुनाव लड़ने तैयार है। इमरती देवी ने अपने जीत की मजबूती को लेकर कहा कि 2018 विधानसभा चुनाव में 62000 वोटों से चुनाव जीता था और 2023 में BJP ने टिकट दिया तो पार्टी का 51000 वोट और ज्यादा विधानसभा चुनाव में बढ़ाया था। ऐसे में पार्टी मौका देगी तो जरूर चुनाव लड़ा जाएगा।
ग्वालियर चंबल अंचल में भाजपा के लिए चारों लोकसभा सीट पर टिकट बांटना आसान नहीं होगा, क्योंकि पुराने भाजपाइयों के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक सभी सीट पर टिकट के लिए दावपेच लड़ा रहे हैं। ऐसे में सवाल यही है कि आखिरकार बीजेपी पुराने और नए भाजपाइयों में सामंजस्य में बिठाने के लिए टिकट के लिए कौन सा फार्मूला इस्तेमाल करेगी ?
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