पुणे पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच ने एक बड़े ऑनलाइन ठगी(Digital Arrest) मामले की जांच शुरू की है जिसमें 78 वर्षीय एक सीनियर सिटीजन महिला से 4.37 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई थी. अपराधियों ने खुद को CBI अधिकारी बताकर उन्हें ड्रग तस्करी के झूठे आरोपों में फंसाने की धमकी दी और उन्हें कई हफ्तों तक मानसिक प्रताड़ना दी.
साइबर अपराधियों ने कैसे दिया वारदात को अंजाम
महिला पुणे में रहती हैं और उनका परिवार एक औद्योगिक व्यवसाय चलाता है. दिसंबर के पहले सप्ताह से जनवरी के पहले सप्ताह के बीच, सरकारी जांच और सुप्रीम कोर्ट की जमानत के नाम पर अपराधियों ने उन्हें 8 बार में 4.37 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया. महिला ने इस महीने की शुरुआत में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करवाई.
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दिसंबर की शुरुआत में महिला को अज्ञात नंबरों से व्हाट्सएप मैसेजेस और कॉल आने लगे. अपराधियों ने महिला को बताया कि उनका आधार कार्ड ड्रग्स तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल किया जा रहा है और कि आपका नाम मुख्य आरोपी अशोक गुप्ता से जोड़ा गया है. यदि आप हमारी बात नहीं मानते हैं, तो आप जेल जाना पड़ेगा.
बाद में उन्हें एक फर्जी दस्तावेज भेजा गया. जिसमें “CBI गोपनीयता समझौता” और “ED गिरफ्तारी और संपत्ति फ्रीज आदेश” शामिल थे. उन्हें एक व्हाट्सएप कॉल में बताया गया कि उनका मामला “CBI दिल्ली” देख रही है और उन्हें 5 करोड़ रुपये देना होगा.
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‘डिजिटल अरेस्ट’ का झांसा देकर ठगी
बाद में महिला को एक व्हाट्सएप कॉल आई, जिसमें खुद को CBI अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने कहा कि वे एक “डिजिटल अरेस्ट” में हैं और वे बार-बार वीडियो और ऑडियो कॉल पर रहने के लिए मजबूर हैं जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती. साथ ही, पीड़िता को अपराधियों ने डायरी में उनके सभी बचत, निवेश और बैंक खाते की जानकारी लिखने के लिए कहा और फिर उसकी तस्वीरें भेजने के निर्देश दिए. डर से पीड़िता ने सभी निर्देश मान लिए.
कैसे हुआ खुलासा
महिला को चार हफ्तों तक वीडियो और ऑडियो कॉल किया गया और उसे विभिन्न बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने को कहा गया. ये बैंक खाते इम्फाल, तेजपुर, नवी मुंबई, ऋषिकेश और झाड़ग्राम, पश्चिम बंगाल में थे. पीड़िता के परिवार के एक सदस्य ने जनवरी के पहले सप्ताह में ठगी का अहसास किया जब उन्होंने उनकी डायरी देखी और बैंक अकाउंट चेक किया. उन्होंने तुरंत पुणे साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई.
पहले भी हो चुकी है करोड़ों की ठगी
यह पुणे में ऐसा दूसरा बड़ा मामला है. इससे पहले, नवंबर 2024 में, पुणे के 59 वर्षीय ITएग्जीक्यूटिव से 6.29 करोड़ रुपये की ठगी की गई थी, जिसमें अपराधियों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर पीड़ित को झूठे मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में फंसाया और उनसे पैसे ऐंठने के लिए “डिजिटल अरेस्ट” का नाम दिया था. पुलिस अधिकारी ने कहा कि एक नए मामले में जांच जारी है और अपराधियों को पकड़ने की कोशिश की जा रही है. पुलिस ने लोगों को साइबर ठगों से बचने के लिए सतर्क रहने और किसी भी अनजान कॉल या संदेश पर विश्वास न करने की सलाह दी है.
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