कुमार इंदर, जबलपुर। जबलपुर में वकील अनुराग साहू के आत्महत्या (lawyer anurag sahu suicide case) के बाद उपजा विवाद अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। एडवोकेट अनुराग साहू की आत्मा के बाद साथी वकीलों ने कल यानी 30 सितंबर को हाईकोर्ट में जमकर प्रदर्शन किया। सैकड़ों की संख्या में पहुंचे वकीलों ने हाईकोर्ट में न केवल प्रदर्शन किया बल्कि जबलपुर बार काउंसिल के चेंबर में तोडफोड़ (Demolition in Jabalpur Bar Council chamber) भी की। वकीलों ने जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) के एक सीनियर अधिवक्ता के चेंबर में आग भी लगा दी।
बताया जा रहा है कि पूरा विवाद कटनी टीआई संदीप अयाची के केस (TI Sandeep Ayachi Case) को लेकर हुआ है। टीआई संदीप अयाची पर महिला पुलिसकर्मी से रेप के आरोप लगे हैं। इसके बाद टीआई को लाईन अटैच भी कर दिया गया है। कुछ दिन पहले टी आई संदीप अयाची की जमानत याचिका सेशन कोर्ट से खारिज हो गई थी। इसके बाद मामला हाइकोर्ट में लगाया गया है। पैरवी मृतक वकील अनुराग साहू और मनीष दत्त कर रहे थे।
शुक्रवार को मामले की सुनवाई जस्टिस संजय दिवेदी के यहां चल रही थी, जिसमें वकील अनुराग साहू भी मौजूद थे। इसी मामले में केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस संजय द्विवेदी को किसी ने एक चिट्ठी भेजी है जिसमें इस केस को लेकर कुछ बातें कही गई है। इस पर जस्टिस संजय द्विवेदी ने चिंता जताई और इस लेटर में लिखी भाषा को न्यायालय की अवमानना माना है। जस्टिस संजय द्विवेदी ने लेटर की जांच के आदेश भी दिए हैं। यही नहीं जस्टिस संजय द्विवेदी ने कहा है कि चीफ जस्टिस चाहे तो संदीप अयाची का मामला उनकी कोर्ट से हटाकर दूसरी कोर्ट में लगाया जा सकता है।
आहत होकर की आत्महत्या
बताया जा रहा है कि जमानत आवेदन पर सुनवाई के दौरान वकील अनूराग साहू पर जस्टिस संजय द्विवेदी ने कुछ टिप्पणी कर दी थी। इससे अमित इतने आहत हुए कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। खबर है कि शुक्रवार को जमानत आवेदन पर सुनवाई के दौरान वकील अनूराग साहू पर जस्टिस संजय द्विवेदी ने विपरीत टिप्पणी कर दी थी। इससे अमित इतने आहत हुआ कि उसने आत्महत्या कर ली।
हाईकोर्ट में शव रखकर किया प्रदर्शन
मृतक एडवोकेट अनुराग साहू का शव लेकर साथी वकील हाईकोर्ट पहुंचे गए। जहां वकीलों ने कोर्ट में ही शव रखकर प्रदर्शन किया और जमकर हंगामा शुरू कर दिया। गुस्साए वकीलों ने कोर्ट में तोड़फोड़ शुरू कर दी। इसके बाद सुरक्षा अधिकारी से भी वकीलों की हाथापाई ही गई। इसके बाद वकील कोर्ट में ही धरने पर बैठ गए। हालात बिगड़ते देख स्थिति को संभालने के लिए पुलिस ने वकीलों पर लाठीचार्ज किया।
मामले में 50 से ज्यादा वकीलों पर मामला दर्ज
हाईकोर्ट परिसर में 30 सितंबर को तोड़-फोड़,हंगामा,आगजनी और कोर्ट रुम में पहली बार शव लेकर पहुंच जाने के मामले में पुलिस ने 50 से ज्यादा अज्ञात वकीलों के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इसमें धारा 353 सहित शासकीय कार्य में बाधा, बलवा और आगजनी का प्रकरण कायम किया गया है।
न्याय जगत के इतिहास में पहली बार ऐसी घटना
बताया जा रहा है कि, न्यायिक जगत के इतिहास में यह पहली घटना है, जब हाईकोर्ट परिसर में वकीलों ने शव रख कर इस तरह का विरोध प्रदर्शन और हंगामा किया है। हालात को कंट्रोल करने पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ गया।
पुलिस फूंक-फूंक कर रख रही कदम
अति संवेदनशील मामले होने के कारण पुलिस-प्रशासन को भी संभलकर जांच करना पड़ रहा है। मामला सीधे हाईकोर्ट और वकीलों से जुड़ा होने के कारण पुलिस फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। वहीं दूसरी तरफ बताया जा रहा है कि खुद हाईकोर्ट प्रशासन ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट कई बार दे चुका है नसीहत
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार नहीं बल्कि कई बार हाईकोर्ट और निचली अदालतों के जजों को अनावश्यक टिप्पणियों से बचने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, उच्च न्यायालयों के जजों को सुनवाई के दौरान अनावश्यक और बिना सोचे-समझे टिप्पणी करने से बचना चाहिए। क्योंकि वे जो कहते हैं, उनके काफी गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।
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