रायपुर। राजधानी के राजातालाब इलाके में स्थित बाठिया नर्सिंग होम की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है. कोरोना मरीज की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार के लिए कोई व्यवस्था नहीं की, बल्कि मृतक के परिजनों पर ही पूरी जिम्मेदारी डाल दी. पिता की मौत के बाद बेटी शव को लेकर नया रायपुर में अंतिम संस्कार के लिए अकेली भटकती रही. निगम सभापति प्रमोद दुबे की दखल के बाद मृतक का अंतिम संस्कार हुआ.

जानकारी के मुताबिक बाठिया नर्सिंग होम में भर्ती कोरोना मरीज की मौत के बाद प्रबंधन ने ना तो निगम को सूचना दी और ना ही शव के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था कराई. मृतक की बेटी को खुद से एम्बुलेंस की व्यवस्था कर शव जल्दी ले जाने को कह दिया. जैसे-तैसे तड़के सुबह 7 बजे बेटी एम्बुलेंस की व्यवस्था कर पिता के शव को लेकर नया रायपुर चली गई. लेकिन वहां जाकर वो अकेली भटकती रही, उसे कुछ भी नहीं पता था कि अंतिम संस्कार के लिए क्या कुछ प्रोटोकॉल है.

परेशान होकर बेटी कृति जैन ने सुबह सभापति प्रमोद दुबे को फोन किया और अपनी समस्या बताई. जिसके बाद सभापति ने अस्पताल के अधिकारियों को फटकार लगाकर सही मार्गदर्शन देने की बात कही, फिर निगम अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य से बात की, तब जाकर निगम की टीम नया राजधानी पहुंची और 10 बजे बच्ची के पिता का अंतिम संस्कार करवाया.

प्रमोद दुबे ने कहा कि निजी अस्पताल कोरोना को लेकर लापरवाही बरत रहे है. हमने इन्हीं लापरवाही को लेकर दो-तीन निजी अस्पतालों को नोटिस भी जारी किया है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पताल मृतक के परिजनों को एम्बुलेंस नहीं देते है, जबकि एम्बुलेंस की व्यवस्था करनी चाहिए. ऐसे समय में स्वास्थ्य विभाग स्पष्ट करें कि प्राइवेट अस्पताल में जो भर्ती हैं, उनको कौन वाहन उपलब्ध कराएगा. आज कृति जैन पढ़ी लिखी बच्ची है, तो उसने मुझे बताया तो मदद मिल गई. बाकी कितने लोग रोज भटक रहे हैं.

बता दें कि नियम ये है कि निजी अस्पताल में कोरोना मरीज की मौत होती है, तो अस्पताल प्रबंधन को एसडीएम और कलेक्ट्रेट और निगम को सूचना देने पड़ती है. साथ ही मृतक के लिए एम्बुलेंस की भी व्यवस्था करनी होती है. लेकिन बड़ी लापरवाही यही है कि निजी अस्पताल में शवों के लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रही है.