अजयारविन्द नामदेव,शहडोल। एक ओर जहां सरकार किसानों की मदद के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही, तो दूसरी ओर एसईसीएल किसानों की जमीन अधिग्रहण कर उन्हें नौकरी नहीं दे रही है. अपने हक की लड़ाई लड़ रहे किसानों पर उल्टा मुकदमा कायम करा रही है. ऐसा ही एक बड़ा मामला आदिवासी बाहुल्य शहडोल-अनूपपुर जिले में सामने आया है. जहां शहडोल जिले के बटुरा ग्राम और अनूपपुर जिले के बकही ग्राम के हजारों किसानों की कोयला एसीएसल द्वारा शारदा माइन्स चालू करने के नाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन अधिग्रहण कर लिया. कोयला उत्पादन का कार्य प्राइवेट कंपनी को ठेका देकर शुरू भी कर दिया. लेकिन आज तक सैकड़ों किसानों को नौकरी नहीं दी गई. जिससे नाराज किसानों ने माइन्स के समीप नारेबाजी कर विरोध जताया. जल्द ही उनकी मांग पूरी नहीं किये जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

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शहडोल और अनूपपुर जिले के मध्य संचालित एसईसीएल की शारदा ओपन माइन्स के लिए वर्ष 2014 में शहडोल जिले के बटुरा ग्राम और अनुपपुर जिले के बकही ग्राम के किसानों की 329 एकड़ जमीन अधिग्रहण की गई थी. जिसमें लगभग 254 लोगों को नौकरी दिया जाना था, लेकिन आज तक उन्हें नौकरी नहीं दी गई. 8 साल बीत जाने के बाद भी एसईसीएल प्रबंधन आज तक ग्रामीणों को नौकरी के लिए चक्कर लगवा रहा है. जिससे ग्रामीण किसान नौकरी के लिए ऑफिस और ऑफिसरों के चक्कर लगा रहे, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल रही. जिससे परेशना ग्रामीण किसान शारदा कोयला खदान के पास जाकर नारेबाजी कर अपना विरोध जताया. जल्द ही उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो उग्र आंदोलन की चेतवानी दी.

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बटुरा बकहो ग्राम से महज 200 मीटर की दूरी पर संचालित शारदा माइन्स में कोयला उत्पादन के लिए हैवी बॉस्टिंग की जा रही है. जिससे ब्लास्टिंग के दौरान बड़े-बड़े पत्थर ग्रामीणों के घरों पर आकर गिर रहे हैं. ग्रामीणों के मकानों में दरारें आ गई हैं. इस हैवी ब्लास्टिग से किसानों के जान माल का खतरा बना हुआ है. इसके साथ ही उनकी खेती किसानी प्रभावित हो रही है. एसईसीएल प्रबंधन किसानों की जमीन हड़प कर उन्हें नौकरी देने की बात तो दूर अब प्रबंधन ने प्राइवेट हाइवाल कंपनी के अधिनस्त मिनसाल कंपनी को कोयला उत्पाद का काम दे दिया है, जहां कंपनी द्वारा कोयला खदान में मिट्टी हटाने का काम किया जा रहा है.

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