Shani Sade Sati and Dhaiya Upay : शनि प्रदोष व्रत आज है.ज्योतिष में शनि को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है.कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रहा हो इस अवस्था में शनि प्रदोष के दिन पूजा करने से शनि का दोष का प्रभाव कम हो जाता है. शनि प्रदोष के दिन भगवान शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक किया जाता है, और उन्हें बेल पत्र, धतूरा, भांग, धूप, दीप आदि अर्पित किए जाते हैं. व्रती पूरे दिन मंत्र जाप और शिव की भक्ति में लीन रहते हैं. शाम के समय भगवान शिव की पूजा की जाती है और भोग अर्पित किया जाता है, इसके साथ ही जरूरतमंदों को दान देकर पुण्य अर्जित किया जाता है.
प्रदोष व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे शुभ और मंगलकारी दिन माना जाता है. इस बार प्रदोष व्रत 17 अगस्त यानी आज रखा जा रहा है. ये प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे आज शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा. इस दिन शिव जी के साथ-साथ शनिदेव की आराधना करने से सभी हर तरह की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. इस व्रत को करने से मानसिक परेशानी और चंद्र दोषों से भी मुक्ति मिलती है और नौकरी में पदोन्नति, दीर्घायु के साथ शनि की कृपा मिलती है. साथ ही भगवान शिव अपने भक्तों को मनोकामना पूर्ति प्रदान करते हैं.
शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Shani Sade Sati and Dhaiya Upay)
सावन माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 17 अगस्त यानी आज सुबह 8 बजकर 05 मिनट पर हो चुकी है और तिथि का समापन 18 अगस्त यानी कल सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर होगा. शनि प्रदोष व्रत का पूजन शाम 6 बजकर 58 मिनट से रात 09 बजकर 09 मिनट तक होगा. उदयातिथि के अनुसार, सावन का आखिरी प्रदोष व्रत 17 अगस्त यानी आज ही मनाया जा रहा है.
पूजन विधि
शिव मंदिरों में शाम के समय प्रदोष काल में शिव मंत्र का जाप करें. गंगाजल से भगवान शिव का जल अभिषेक करें. इसके बाद ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और शिव को फूल बिलपत्र अर्पित करें. शनि की आराधना के लिए सरसों के तेल का दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं. एक दीपक शनिदेव के मंदिर में जलाएं. व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करें.
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