प्रयागराज. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रयागराज के हंस तीर्थ में दर्शन न कर पाने पर खेद व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि धर्म स्थल को मुक्त करने के लिए आंदोलन चलाएंगे. उन्होंने कहा कि कोई मथुरा में कब्जा कर लेता है हमारे स्थान को, अब प्रयाग में भी ये होने लगा है. अगर यही हो रहा है तो यहां के लिए भी हम आंदोलन शुरू करेंगे. जिसका जिम्मेदार यहां का प्रशासन होगा, यहां की सरकार होगी.

उन्होंने कहा कि बहुत दुख की बात है कि हमारे ही तीर्थ में हमें दर्शन पूजन करने का मौका नहीं मिल रहा है. ये अन्याय है और इसी तरह के ढेरों अन्याय हमारे साथ हो रहे हैं. इसलिए हम सोच रहे हैं कि कहने के लिए हिंदू सरकार है, कहने के लिए डबल इंजन की सरकार है, लेकिन हम 24 अवतार में से एक अवतार वाले तीर्थ में जाकर माथा नहीं झुका सकते.

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क्या है हंस तीर्थ

हंस तीर्थ, भगवान विष्णु के हंस अवतार से जुड़ा एक पौराणिक तीर्थ क्षेत्र है. इस क्षेत्र में एक मंदिर, कूप, वृक्ष, और तपस्वियों की तपस्थली भी है.

हंस तीर्थ से जुड़ी मान्यताएं

हंस तीर्थ क्षेत्र में स्थित मंदिर में भगवान विष्णु के हंस अवतार की जन्मस्थली है. इस क्षेत्र में स्थित कूप में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यहां पर स्थित वृक्ष संध्यावट वृक्ष है. यहां कई तपस्वियों ने तपस्या की है. इस क्षेत्र में गुरु गोरखनाथ आदि तपस्वियों ने तपस्या की थी.

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हंस तीर्थ से जुड़े अन्य तथ्य

हंस तीर्थ क्षेत्र में अवैध कब्ज़ा करने की कोशिशें हो रही हैं. इस मुद्दे को लेकर साल 2012 से कोर्ट में मामला लंबित है. इस क्षेत्र में अवैध गतिविधियां प्रशासनिक मिलीभगत और प्रभाव के इस्तेमाल से चलाई जा रही हैं.