हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन किए गए व्रत से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी संपूर्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और अपनी चांदनी से पूरे जगत पर अमृत वर्षा करता है. यही वजह है कि इस दिन सभी लोग खीर बनाकर चांद की चांदनी में रख देते हैं और उसका प्रसाद लेते हैं.

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इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को पड़ रहा है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो कोई भी व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जो माताएं इस व्रत को रखती हैं उनके बच्‍चे दीर्घायु होते हैं. वहीं, अगर कुंवारी कन्‍याएं यह व्रत रखें तो उन्‍हें मनचाहा पति मिलता है. शरद पूर्णिमा का चमकीला चांद और साफ आसमान मॉनसून चले जाने का प्रतीक भी माना जाता है.

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शरद पूर्णिमा पर क्या करें

  • शरद पूर्णिमा पर रात भर जागते हुए मां लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए.
  • व्यक्ति को पूर्णिमा की रात को कम से कम कुछ घंटों के लिए चंद्रमा की शीतल चांदनी में बैठना चाहिए.
  • इस दिन बनने वाला वातावरण दमा के रोगियों के लिए विशेषकर लाभकारी माना गया है.
  • शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की तरफ एकटक निहारने से या सुई में धागा पिरोने से नेत्र ज्योति बढ़ती है.
  • शरद पूर्णिमा की रात को 10 से 12 बजे का समय जब चंद्रमा की रोशनी अपने चरम पर होती हैं, इसलिए इस दौरान चंद्रमा के दर्शन जरूर करना चाहिए.
  • गर्भवती महिलाओ को भी इस दिन की चाँदनी में जरुर कुछ बैठना चाहिए और गर्भ में पल रहे शिशु पर भी चाँदनी पड़नी चाहिए.