दतिया। श्री पीताम्बरा पीठ मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित है। पीताम्बरा पीठ पर दस महाविद्याओं में से एक मां बगलामुखी देवी साक्षात विराजमान हैं। इन्हें राजसत्ता और न्याय की देवी कहा जाता है। जिनके दर्शन मात्र से हर भक्त की मनोकामना पूर्ण हो जाती है। यह कई पौराणिक कथाओं के साथ ही वास्तविक जीवन में लोगों की तपस्थली यानी ध्यान का स्थान है। दतिया को आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्यों कि यह हर गली में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है। जिसके चलते इस नगरी को मिनी वृंदावन के नाम से भी ख्याति प्राप्त है।
इतिहास
श्री पीताम्बरा पीठ, बगलामुखी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जिसे श्रीस्वामी जी ने स्थापित किया था। मां पीतांबरा मूर्ति की स्थापना वर्ष 1935 में स्वामी जी महाराज ने की थी। इसी शक्ति पीठ में धूमावती माई की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा साल 1978 में की गई थी। पीतांबरा शक्ति पीठ परिसर करीब आठ एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस सरोवर के किनारे ही जपस्थल बना हुआ है। यहां पर संस्कृत महाविद्यालय, संगीत महाविद्यालय और आयुर्वेदिक औषधालय का संचालन भी किया जाता है।
सुहागिन महिलाओं के दर्शन पर रोक
इस मंदिर में महाभारत कालीन वनखंडेश्वर महादेव और दस महाविद्याओं में से एक माई धूमावती भी विराजित हैं। धूमावती मंदिर में मां एक विधवा स्त्री के रूप में पूजी जाती है। मां का यह रूप वैधव्य होने के कारण सुहागिन महिलाओं को इसके दर्शन करने पर रोक हैं। हर शनिवार यहां धूमावती माई के दर्शनों के लिए देश के कोने-कोने से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मां को नमकीन वस्तुओं का भोग अर्पित किया जाता है।
पुराना नाम वनखंडी
पीतांबरा शक्ति पीठ मंदिर परिसर में महाभारत कालीन वनखंडेश्वर महादेव का प्राचीन शिवलिंग भी स्थापित है। जिसके कारण पीतांबरा पीठ का पुराना नाम वनखंडी था। यहां पर श्मशान भूमि पर विराजित वनखंडेश्वर शिवलिंग के बारे में किवदंती है कि पांडवों के वनवास के दौरान यहां पर घना जंगल हुआ करता था।
दिन में तीन बार बदलती हैं रूप
कहा जाता है कि मां पीतांबरा देवी दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। मां के दशर्न से सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती हैं। मान्यता है कि किसी भी प्रकार का कष्ट हो, यदि मां पीताम्बरा का अनुष्ठान किया जाए तो सभी प्रकार की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
विश्व में मां धूमावती का एकलौता मंदिर
पूरे विश्व में मां धूमावती का यह एक मात्र मंदिर है। धूमावती माता की आरती सुबह-शाम होती है, लेकिन भक्तों के लिए धूमावती का मंदिर शनिवार को सुबह-शाम 2 घंटे के लिए खुलता है। मां धूमावती को नमकीन पकवान, जैसे- मंगोडे, कचौड़ी व समोसे आदि का भोग लगाया जाता है।
पर्यटन और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में पहचान
दतिया को पर्यटन और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। दरअसल, यहां हर गली में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है। जिसके कारण इस नगरी को लघु वृंदावन के नाम से भी ख्याति प्राप्त है। शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर ही पंचमकवि की टोरिया है। जहां तारापीठ और भगवान भैरव का स्थान है। दतिया से 8 से 10 किमी की दूरी पर प्रसिद्ध जैन सिद्धक्षेत्र सोनागिर है। यहां पहाड़ी पर जैन तीर्थंकरों के मंदिर बने हुए हैं। पास ही बड़ौनी में भगवान गुप्तेश्वर महादेव का गुफा में प्राचीन मंदिर है। 15 किलोमीटर दूर उनाव में सूर्य मंदिर है, जिसे उनाव बालाजी के नाम से जाना जाता है। दतिया से 65 किमी दूर ब्रह्माजी के मानस पुत्रों की तपस्थली सनकुआं धाम है। जिसे सभी तीर्थों के भांजे के रूप में मान्यता प्राप्त है। वहीं पर्यटन की दृष्टि से दतिया में वीरसिंह पैलेस, गुजर्रा का शिलालेख, राजसी छतरियां भी आकर्षक हैं।
ऐतिहासिक महत्व
मां पीतांबरा को शत्रुहंता भी माना जाता है। साल 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया था। उस समय देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थी। तभी किसी योगी ने नेहरू को स्वामी महाराज से मिलने को कहा। उस समय नेहरू दतिया पहुंचे और स्वामीजी से मिले। स्वामी महाराज ने राष्ट्रहित में एक 51 कुंडीय महायज्ञ करने की बात कही थी। फिर देशभर के विद्वान पंडितों के माध्यम से राष्ट्र रक्षार्थ अनुष्ठान कराया था। बताया जाता है कि जैसे ही पीतांबरा पीठ मंदिर में यज्ञ प्रारंभ हुआ वैसे ही चीन की सेना ने पीछे हटना शुरू कर दिया था। इस शक्ति पीठ पर वर्तमान में राजसत्ता पाने के इच्छुक नेता, फिल्म अभिनेता सहित बड़े उद्योगपति व न्यायपालिका के बड़े पदों पर आसीन अधिकारी यहां पहुंचकर शतचंडी अनुष्ठान कराते हैं।
मनोकामना होती है पूरी
मां बगलामुखी देवी हर तरह की मनोकामना पूरी करने के लिए भी जानी जाती है। मान्यता है कि इस शक्ति पीठ पर जो भी दर्शन करने आता है उसके शत्रु, दुख और कष्टों का निवारण माई के दर्शन पूजन मात्र से हो जाता है। यही वजह है कि यहां राजनेताओं का भी तांता लगा रहता है। इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर देश के कई प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सहित देश के तमाम वीआईपी और श्रद्धालु यहां आते रहते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि पीताम्बरा माई अत्यंत दयालु और जल्दी प्रसन्न होने वाली देवी हैं। यहां सच्चे मन से प्रार्थना करने से बड़ी से बड़ी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इसके साथ ही बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक हो जाती है।
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