रायपुर। मां शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्र आज से शुरू हो गया है. 21 सितंबर यानि आज से शुरू होकर नवरात्रि 29 सितंबर तक चलेगी. छत्तीसगढ़ में भी श्रद्धालुओं का तांता सुबह से ही मंदिरों में लगा हुआ है. राजधानी रायपुर के प्रसिद्ध महामाया मंदिर, शीतला माता के मंदिर समेत सभी देवी मंदिरों में मां के शैलपुत्री रूप की पूजा-अर्चना सुबह से ही की जा रही है.
वहीं प्रदेश के बिलासपुर स्थित महामाया मंदिर, डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी, दंतेवाड़ा स्थित मां दंतेश्वरी के दरबार में श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं. दंतेवाड़ा में आज मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का भी दौरा है. यहां वे मां दंतेश्वरी की पूजा-अर्चना करेंगे.
वहीं मंदिरों को आज विशेष तौर पर सजाया गया है और माता का भी विशेष श्रृंगार किया गया है.
मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा
नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है. पर्वतराज हिमालय के घर इनका जन्म हुआ था, इसलिए इन्हें शैलपुत्री के रूप से जाना जाता है. मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल और कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है.
देवी शैलपुत्री चंद्रमा के समान उज्ज्वल हैं. इनके मस्तक पर सोने का मुकुट और अर्धचंद्र है. इनका वाहन वृष है. इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है. मां शैलपुत्री का संबंध चंद्रमा से है. कुंडली में चंद्रमा का संबंध चौथे भाव से होता है. इसलिए मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में शांति और स्थिरता आती है. साथ ही सुख-सुविधा, पैतृक संपत्ति, वाहन, जायदाद, मनपसंद जीवनसाथी और अच्छी नौकरी की प्राप्ति होती है.
कलश स्थापना का मुहूर्त
नवरात्र में कलश स्थापना करने से व्यक्ति के जीवन में परेशानियां दूर होकर सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. इस बार शुभ मुहूर्त 21 सितंबर को सुबह 6 बजकर 3 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट, सुबह 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक है. आज के दिन श्रद्धालु मंदिरों में ज्योति कलश भी जलाते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं.