Shardiya Navratri 2024: मां भगवती के सातवें स्वरूप, मां कालरात्रि की पूजा और अर्चना का विशेष अवसर आ रहा है. यह देवी का स्वरूप अनंत और व्यापक है, जो जीवन और मृत्यु के चक्र को पार करने की शक्ति रखता है. कालरात्रि का अर्थ है ‘काल को जीतने वाली’, और यह स्वरूप देवी के तीन महत्वपूर्ण रूपों—जन्म, पालन और काल—का प्रतिनिधित्व करता है. (navratri ka satva din)
सृष्टि के संपूर्ण संयोजन और संचालन के पीछे काली जी की अनुकंपा है. पुराणों के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने देवी को ‘काली’ कहा, जिसके बाद उनका नाम काली पड़ा. इस नाम के साथ जुड़ी शक्तियों के कारण, माता काली की पूजा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
विशेष पूजा के दौरान, भक्तजन अखंड ज्योति जलाकर काले तिलों से पूजन करते हैं. यह प्रक्रिया मां काली की कृपा को आकर्षित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. जप-तप और विशेष मंत्रों का उच्चारण करने से मां काली प्रसन्न होती हैं, जिससे साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं.
रात्रि के समय यज्ञ करने से साधक के मनोरथ पूर्ण होते हैं. यह समय मां कालरात्रि की आराधना के लिए विशेष रूप से अनुकूल होता है, और भक्तगण अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उनके समक्ष उपस्थित होते हैं. इस प्रकार, मां कालरात्रि की पूजा से न केवल आस्था का परिचय मिलता है, बल्कि साधकों को मानसिक और आध्यात्मिक बल भी प्राप्त होता है.
उपासना का मंत्र: ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
मां का प्रिय कालरात्रि भोग: मां कालरात्रि का प्रिय भोग खासतौर पर सरल और शुद्ध होता है। आमतौर पर इनकी पूजा में निम्नलिखित भोग अर्पित किए जाते हैं:
- तिल – तिल का उपयोग बहुत शुभ माना जाता है।
- गुड़ – गुड़ से बनी मिठाइयाँ, जैसे कि तिल के लड्डू।
- फल – विशेषकर नींबू, आम, या केला।
- दूध और दही – शुद्धता का प्रतीक माने जाते हैं।
- हलवा – सूजी या आटे का हलवा भी प्रिय होता है।
इन भोगों के साथ मां की भक्ति और श्रद्धा से की गई पूजा का विशेष महत्व है। (navratri ka satva din)
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