तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में शरण ली हुईं हैं, वह राजधनी दिल्ली में एक अज्ञात स्थान पर रह रही हैं। इस बीच, बांग्लादेश में अगले साल की शुरुआत में आम चुनावों का ऐलान किया गया है। हालांकि, हसीना की अवामी लीग पार्टी को बैन कर दिया गया है। एक मीडिया को दिए इंटरव्यू में शेख हसीना ने कहा है कि अवामी लीग को छोड़कर किसी भी चुनाव को वैध नहीं माना जा सकता। उन्होंने एक तरह से शर्त रखी कि उनके बांग्लादेश लौटने के लिए पहले स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव करवाकर लोकतंत्र को बहाल करना होगा। बता दें कि, बांग्लादेश की अदालत में शेख हसीना के लिए मौत की सजा मांगी गई है।

उन्होंने बांग्लादेश में अगले साल होने वाले चुनाव पर कहा कि ये इलेक्शन एक अनिर्वाचित सरकार द्वारा गढ़े गए एक असंवैधानिक चार्टर के तहत करवाए जा रहे हैं। इसी सरकार ने यह शर्त रखी है कि नौ बार निर्चावित होने वाली पार्टी चुनाव नहीं लड़ सकती है। इसी वजह से लाखों वोटर्स अपने वोट देने के अधिकार से वंचित हो गए हैं। शेख हसीना ने कहा कि फिर चाहे हम सरकार में हों या फिर विपक्ष में, हमारी पार्टी अवामी लीग की ताकत को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। बांग्लादेश की भलाई के लिए अवामी लीग से बैन हटना जरूरी है। बांग्लादेश के लोग स्थिरता चाहते हैं और बैन व बहिष्कार के चक्र का अंत चाहते हैं। जब हसीना से पूछा गया कि क्या वह बांग्लादेश वापस लौटना चाहती हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि बांग्लादेश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अटूट है।

उन्होंने कहा, ”मैंने अपनी जिंदगी अपने देश को बेहतर बनाने के लिए लगा दी है और अब भी यह समर्पण कम नहीं हुआ है। मेरे बांग्लादेश लौटने के लिए, पहले बांग्लादेश को स्वतंत्र, निष्पक्ष और सहभागी चुनावों के जरिए से लोकतंत्र को बहाल करना होगा और अवामी लीग को सत्ता में लाना होगा। मैं व्यक्तिगत रूप से सत्ता की तलाश में नहीं हूं और न ही मेरा परिवार को है।”

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि हर नेता पीछे मुड़कर देखने पर उन फैसलों की पहचान कर सकता है, जिसे उसने अलग तरीके से लिया होता। मैं मानती हूं कि कुछ शिकायतें खासकर सरकारी नौकरियों में आरक्षण से जुड़ी हुईं को और बातचीत के जरिए से हल की जा सकती थीं। हमारे पास इसके लिए तंत्र थे और अतीत में हमने ऐसा किया भी था। हम इस पर और तेजी से कार्रवाई कर सकते थे। बता दें कि बांग्लादेश में पिछले साल आरक्षण के मुद्दे पर हिंसा फैल गई थी, जिसके बाद प्रधानमंत्री आवास तक पर प्रदर्शनकारियों ने हमला बोल दिया था। शेख हसीना इसके बाद पीएम पद से इस्तीफा देकर भारत आ गई थीं। तब से वह यहीं रह रही हैं, जबकि मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश सरकार के प्रमुख हैं।

शेख हसीना के लिए मांगी गई है मौत की सजा

बता दें कि, बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) सोमवार 17 नवंबर को देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चल रहे मामले में फैसला सुनाने जा रही है। इस फैसले पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हैं। बता दें कि हसीना पर पिछले साल ढाका में हुए प्रदर्शन और हिंसा के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध से जुड़े पांच गंभीर आरोप हैं। अब देश में पूर्व प्रधानमंत्री के लिए प्रदर्शनकारियों पर की गई कार्रवाई का हवाला देते हुए अदालत से उन्हें मृत्युदंड देने की अपील की गई है।

इस मामले में हसीना के साथ साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल और उस समय के आईजीपी चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी ट्रायल का सामना करना पड़ा है। दोनों को भी अदालत ने फरार आरोपी घोषित किया है। शेख हसीना ने पिछले साल हुई हिंसा के बाद से भारत में शरण ली है।

“1400 मौत की सजा की हकदार हसीना”

संयुक्त राष्ट्र की फरवरी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले साल ढाका में हुई हिंसा में करीब 1,400 लोग मारे गए हो सकते हैं। वहीं, बांग्लादेश सरकार के स्वास्थ्य सलाहकार के अनुसार 800 से अधिक लोगों की मौत हुई और लगभग 14,000 लोग घायल हुए।ICT के चीफ प्रॉसिक्यूटर मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने इन मौतों का हवाला देते हुए कहा है कि शेख हसीना “1,400 मौत की सजा की हकदार हैं।” उन्होंने कहा, “यह मानव रूप से संभव नहीं है, इसलिए हम कम से कम एक डेथ पेनल्टी की मांग करते हैं।” उन्होंने हसीना एक को “कठोर अपराधी” बताया और कहा कि “उन्हें अपनी की गई बर्बरता पर कोई पछतावा नहीं है।”

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