अंबिकापुर. दरिमा में एक बाल मेले का आयोजन किया गया था इस मेले में जब लोग पहुंचे तो ये देखकर हतप्रभ रह गए कि स्टॉल लगाने वाले 5-6 साल के बच्चे थे. ये बच्चे श्रम का काम नहीं कर रहे थे केवल हिसाब किताब देख रहे थे. दरअसल, ये आयोजन एक अभिनव प्रयोग का हिस्सा था जिसमें दुकानदारी के माध्यम से बच्चों को हिसाब-किताब सीखाना था. इस कार्यक्रम में सरगुजा की महिला कमांडो बाल दुकानदारों की मदद अपना श्रमदान करके कर रही थीं. 

बच्चे पूरा हिसाब लगाकर पैसे ले रहे थे और बड़ी सावधानी से बाकी पैसे लौटा रहे थे. लोग बच्चोें के हिसाब-किताब को देखकर हैरान थे. ये छात्र बरगई में चल रहे पर्यावरणीय स्कूल शिक्षा कुटीर के थे. जिन्हें सरगुजा पुलिस ने अनोखे तरीके से पढ़ाने की तरकीब निकाली. ये कार्यक्रम आईजी हिमांशु गुप्ता और एसएसपी आरएस नायक  ने निर्देशन में एसडीओपी अंबिकापुर गरिमा द्विवेदी और संचालक शिक्षा कुटीर ने संयुक्त रुप से किया गया

 

 

गरिमा द्विवेदी का कहना है कि बच्चे क्लासरुम में गणित का जोड़ घटाव तो पढ़ते हैं लेकिन इसका व्यावारिक इस्तेमाल कैसे किया जाए. इस बाल मेले में बच्चों को व्यावाहारिक ज्ञान मिला. उन्होंने बताया कि इस आयोजन का एक मकसद बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाना था.  मेले में बड़ी उम्र के लोग पहुंचे जिनके साथ उन्होंने सीधा संवाद किया. इससे उनका मनोबल बढ़ा. इसके साथ बच्चों का मनोरंजन करना और स्कूल के लिए फंड जुटाना भी इसका मकसद था. सरगुजा पुलिस ने मेले से मिले पैसे शिक्षाकुटीर को दान कर दिया.

 

गरिमा द्विवेदी ने इस काम में सरगुजा पुलिस द्वारा तैयार महिला कमांडो को बच्चों के सहयोग के लिए लगवाया. ताकि बच्चों को श्रम का काम ना करना पड़े. इस मेले में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग पहुंचे. सब यहां काफी खुश नज़र आ रहे थे. शिक्षाकुटीर शिक्षा को पर्यावरण से जो़ड़ने के अपने अनोखे पहल के  लिए जाना जाता है.