रायपुर। अब शिक्षाकर्मियों की संविलियन समेत अन्य मांगों को लेकर अध्ययन करने के लिए यहां से टीम मध्यप्रदेश जाएगी. इसे लेकर शिक्षाकर्मी नेता वीरेंद्र दुबे ने सरकार पर तंज कसा है और कहा है कि जिस प्रदेश में नीति ही नहीं बन पाई है, वहां अधिकारी भला क्या देखेंगे. उन्होंने कहा कि क्या छत्तीसगढ़ दूसरे राज्यों के लिए आदर्श नहीं बन सकता?. बता दें कि 10 मई को पंचायत सचिव आर पी मण्डल की अगुवाई में कमेटी मध्यप्रदेश जाएगी.

बता दें कि हाईपॉवर कमेटी का लगातार कार्यकाल बढ़ाने को लेकर सरकार आलोचनाओं से घिरी हुई है. सरकार को शिक्षाकर्मियों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है. ऊपर से राजस्थान में जाकर अध्ययन करने के बाद अब मुख्य सचिव अजय सिंह ने मध्यप्रदेश मॉडल का अध्ययन करने की बात कही है और वहां की संविलियन नीति की जानकारी लेने की बात कह रहे हैं. इसके बाद से शिक्षाकर्मियों में और ज्यादा आक्रोश भर गया है.

शिक्षाकर्मी नेता वीरेंद्र दुबे ने कहा कि मध्यप्रदेश में अब तक केवल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संविलियन की घोषणा की है, जिसे अब तक वहां के प्रशासनिक अधिकारी अमलीजामा नहीं पहना सके हैं. जबकि राजस्थान, दिल्ली जैसे राज्यों ने इस पर बेहतर काम कर इस समस्या का स्थायी समाधान ढूंढ लिया है. उन्होंने कहा कि कमेटी पिछले माह राजस्थान का दौरा करके आ चुकी है, जिसके कारण 1 मई को संपादित हुए बैठक को लेकर शिक्षाकर्मियों में जबरदस्त उत्साह देखा गया था, लेकिन मुख्य सचिव द्वारा मप्र दौरे की बात कहने से वो आक्रोश में बदल गया.

लल्लूराम डॉट कॉम को मिली जानकारी अनुसार 10 मई को छत्तीसगढ़ की एक कमेटी आर पी मण्डल, पंचायत सचिव छग शासन की अगुवाई में मध्यप्रदेश की संविलियन नीति का अध्ययन करने जा रही है. ये कमेटी वहां 2 दिनों तक रहकर समस्त बारीकियों का अध्ययन करेगी. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि जब मध्यप्रदेश में कोई संविलियन आदेश हुआ ही नहीं है, तो कमेटी आखिर किस चीज का अध्ययन करेगी.

जहां संविलियन नहीं हुआ, वहां का अध्ययन हास्यास्पद- वीरेंद्र दुबे

कमेटी के एमपी दौरे को लेकर शिक्षक पंचायत नगर निगम मोर्चा के प्रांतीय संचालक वीरेंद्र दुबे ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जहां अब तक संविलियन नीति ही नहीं बन पाई है, उस राज्य का अध्ययन करने की बात कहना हास्यास्पद है. राजस्थान ने उत्तम मॉडल प्रस्तुत किया है, जहां कमेटी दौरा करके आ चुकी है. क्या अब ये हाईपावर कमेटी ऐसे ही भारत भ्रमण करते रहना चाहती है या अपने छत्तीसगढ़ की ठोस संविलियन नीति जो समग्र और स्थाई समाधान हो, उसे बनाएगी.?

वीरेंद्र दुबे ने सवाल किया कि क्या हमारे प्रशासनिक अधिकारी अन्य राज्यों के लिए आदर्श स्थापित नहीं कर सकते..? आखिर हमें क्यों अलग-बगल झांकने की जरूरत पड़ रही है..? उन्होंने कहा कि इस टालमटोल रवैए को छोड़ना होगा और जल्द ही समस्त शिक्षाकर्मियों का संविलियन करना होगा, नहीं तो शिक्षाकर्मियों में असंतोष और आक्रोश बढ़ता जाएगा. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि शासन के पास अभी भी मौका है कि वो 11 मई के पहले तक संविलियन की घोषणा कर दे, नहीं तो छत्तीसगढ़ के 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मी 11 मई को राजधानी कूच करेंगे.

शिक्षक पंचायत नगर निगम मोर्चा के प्रांतीय उपसंचालक जितेन्द्र शर्मा ने कहा कि “शिक्षाकर्मियों ने 5 महीने तक अपना धैर्य बनाए रखा है, लेकिन अब शासन द्वारा की जा रही देरी से सब्र का बांध टूटने लगा है. प्रदेश के समस्त शिक्षाकर्मी 11 मई की महापंचायत में शामिल होने राजधानी आने के लिए आतुर हैं, क्योंकि लगातार कमेटी का कार्यकाल और राज्यों के दौरे की बात से वे खफा हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षाकर्मी चाहते हैं कि जल्द से जल्द उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान हो और संविलियन पर फैसला हो. शासन को अब विलम्ब नहीं करना चाहिए”.