दुर्ग। शिक्षाकर्मियों के 10 वें दिन भी हड़ताल के चलते पढ़ाई प्रभावित होने से नाराज विद्यार्थियों ने नगपुरा बस स्टैंड चौक में चक्काजाम कर दिया। विद्यार्थियों की मांग है कि स्कूल में हड़ताली शिक्षाकर्मियों की जगह वैकल्पिक व्यवस्था शुरू कर पढ़ाई करवाई जाए। चक्काजाम की पूर्व सूचना जिला प्रशासन को 28 नवम्बर को ही दी गई थी, जिला प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में बच्चों ने 2 दिन की मियाद तय करते हुए वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग करते हुए गुरुवार को चक्काजाम करने का ऐलान किया था।
ज्ञापन में तय मियाद के अनुसार दो दिन के भीतर शिक्षकों की व्यवस्था नहीं की गई। जिसके बाद विद्यार्थियों ने सड़क पर चक्काजाम कर दिया।विद्यार्थियों ने पुलिस अधीक्षक और जिला शिक्षा अधिकारी को भी इस संबंध में ज्ञापन सौंपा था। चक्काजाम की स्थिति में दुर्ग से खैरागढ़ मार्ग 2 घंटो तक बाधित रहा आने जाने वाले राहगीरों को घंटो परेशानियों का सामना करना पडा, पुलिस की मौजूदगी में प्रदर्शनकारियो से स्कूल की प्राचार्य ने भी समझाइश देते हुए जाम को हटाने कहा.
लेकिन बच्चो ने जिला प्रशासन के अधिकारियो के द्वारा तत्काल कोई ठोस जवाब की मांग को लेकर अड़े रहे. स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पुलिस के समझाईस के बाद 2 घंटोके बाद प्रदर्शनकारियो ने 2 दिनों में व्यवस्था नहीं किये जाने पर दुबारा चक्काजाम किये जाने की चेतावनी देते हुए प्रदर्शन ख़त्म किया.
शिक्षाकर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से यहां 20 नवंबर से पढ़ाई पूरी तरह ठप्प है। इधर 9 दिसंबर से अर्धवार्षिक परीक्षा शुरू हो रही है। स्कूल में पढ़ाई नहीं होने से परीक्षा की तैयारी प्रभावित हो रही है। विद्यार्थियों ने बताया था कि पढ़ाई प्रभावित होने से परेशान बच्चों ने एकराय होकर यह निर्णय किया था। जिले में 1 तारीख से प्रायमरी की छमाही परीक्षा भी शुरू होनी है जिसे लेकर शिक्षा विभाग वैकल्पिक व्यवस्था में जुटा हुआ है.
दुर्ग जिले में 541 प्रायमरी,341 मिडिल,171 हायर सेकंडरी और हाई स्कुल है जिनमे कुल 3685 शिक्षाकर्मी पदस्थ है जिनमे से 3298 शिक्षा कर्मी हड़ताल पर है वही 268 अब तक हड़ताल छोड़ वापस आ चुके है. जिला प्रशासन ने 2 दिन पहले ही परिवीक्षा अवधि के 2 शिक्षा कर्मियों को बर्खास्त किया था और 15 शिक्षाकर्मियों के खिलाफ मूल जिला वापसी की भी कार्येवाही की गई है.
अब देखना होगा प्रदेश में पहली बार शिक्षा कर्मियों के हड़ताल के खिलाफ सड़क पर उतरे स्टूडेंट की मांग मानी जाती है या फिर शिक्षाकर्मियों की सरकार से लड़ाई जारी रहती है, लेकिन दोनों ही सूरत में नुकसान तो सिर्फ स्टूडेंट का ही होना है.