मोहाली. मोहाली की एक अदालत ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के पुलिस हिरासत में इंटरव्यू से जुड़े मामले में पांच पुलिस कर्मियों की याचिका को खारिज कर दिया है। इन कर्मियों ने पॉलीग्राफ टेस्ट से बचने के लिए याचिका दायर की थी। अब उन्हें इस प्रक्रिया से गुजरना होगा। हालांकि, उनके पास हाई कोर्ट में अपील करने का विकल्प अभी बाकी है।


याचिका दायर करते समय पुलिस कर्मियों ने दावा किया था कि उन पर पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए दबाव डाला गया था, जिसके चलते उन्होंने सहमति दी थी। जानकारी के अनुसार, शुरुआत में मखतियार सिंह, सिमरनजीत सिंह, हरप्रीत सिंह, बलविंदर सिंह, सतनाम सिंह और अमृतपाल सिंह सहित छह पुलिस कर्मी पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए सहमत हुए थे और उनके बयान भी दर्ज किए गए थे। लेकिन बाद में उन्होंने मोहाली अदालत में याचिका दायर कर दबाव का हवाला दिया।


पुलिस कर्मियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सुल्तान सिंह सांघा ने बताया कि जब आदेश पारित किया गया, तब एक ADGP रैंक का वरिष्ठ IPS अधिकारी अदालत में मौजूद था। उन्होंने दावा किया कि उनके मुवक्किल दबाव में टेस्ट के लिए सहमत हुए थे। सांघा ने यह भी कहा कि जब पुलिस कर्मियों ने अदालत में अपनी सहमति दर्ज की, तब उनके साथ कोई वकील मौजूद नहीं था।


सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसियों को शक है कि जेल के अंदर इंटरव्यू बिना आंतरिक साठगांठ के संभव नहीं था। इसलिए पॉलीग्राफ टेस्ट यह पता लगाने के लिए कराया जा रहा है कि क्या जेल स्टाफ या पुलिस कर्मियों में से किसी ने लॉरेंस को मीडिया के सामने लाने में मदद की थी।


हाई कोर्ट के दखल के बाद हरकत में आई सरकार
लॉरेंस इंटरव्यू मामले में हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पंजाब सरकार सक्रिय हुई थी। इसके बाद DSP गुरशेर सिंह संधू सहित छह पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। इसके अलावा, लॉरेंस के खिलाफ खरड़ के CIA पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। इन सभी पर ड्यूटी में लापरवाही और गैरजिम्मेदारी के आरोप लगाए गए थे।


लगभग डेढ़ साल बाद यह इंटरव्यू एक टीवी चैनल पर प्रसारित हुआ, जो वायरल हो गया था। निलंबित पुलिस कर्मियों में मोहाली के DSP स्पेशल ऑपरेशन सेल गुरशेर सिंह संधू, DSP समर विनीत, सब-इंस्पेक्टर रीना (CIA खरड़), सब-इंस्पेक्टर जगतपाल (AGTF), सब-इंस्पेक्टर शगनजीत सिंह, ASI मखतियार सिंह और HC ओम प्रकाश शामिल हैं।