नई दिल्ली। वो ज़माना गया, जब सेक्स शादी के बाद की जाने वाली प्राकृतिक प्रक्रिया मानी जाती थी. जब से शादी करने की उम्र बढ़ी है, लोग शिक्षित होने लगे हैं, तब से सेक्स जीवन में भी काफी बदलाव आया है. पहले कौमार्य को लड़कियों की पूंजी मानी जाती थी, जिसे शादी के बाद पति को ही लड़कियां सौंपती थीं. लेकिन एक सर्वेक्षण ने इन सारी बातों को खारिज कर दिया है. सर्वे में ये बात सामने आई है कि देश में अविवाहित महिलाएं सेक्शुअली ऐक्टिव हैं. और सबसे बड़ी बात तो ये है कि सेफ सेक्स को तरजीह दे रही हैं.

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 के मुताबिक महिलाओं में सेक्स को लेकर जागरुकता काफी बढ़ी है. अब 15 से 49 साल की अविवाहित महिलाएं सेफ सेक्स कर रही हैं और इसके लिए वे कॉन्डम का इस्तेमाल कर रही हैं.

सर्वे में ये बात निकलकर सामने आई है कि देश में सबसे ज्यादा कॉन्डम का यूज अविवाहित महिलाएं करती हैं. पिछले 10 साल में इसका इस्तेमाल 2 प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया है. इसमें भी 20 से 24 साल के बीच की सेक्शुअली ऐक्टिव अविवाहित लड़कियां सबसे ज्यादा कॉन्डम का इस्तेमाल करती हैं.

वहीं सर्वे में ये बात भी निकलकर सामने आई है कि आज भी 8 में से 3 पुरुष यही मानते हैं कि गर्भनिरोध महिलाओं की जिम्मेदारी है.

सेक्स को लेकर देश में बढ़ी है जागरुकता

वहीं ये खबर अच्छी है कि अब 15 से 49 साल के बीच 99 फीसदी शादीशुदा जोड़ों को गर्भनिरोध के तरीके की जानकारी जरूर है. वे अब पहले की तरह इस विषय में बोलने में हिचकिचाते नहीं हैं. साथ ही कोई समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से भी संपर्क करते हैं.

कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल घटा

वहीं आश्चयर्यजनक तरीके से देश की महिलाओं के बीच कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल घट गया है. जबकि पहले गर्भनिरोध का सबसे प्रचलित तरीका यही था. दरअसल डॉक्टर्स का भी कहना है कि कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स कुछ सालों की अवधि तक लेना सुरक्षित होता है. वहीं कॉन्डम के कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते. साथ ही वो सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से भी बचाव करता है, न कि सिर्फ गर्भधारण से.

अभी और जागरुकता की जरूरत

वहीं देश में 15 से 49 साल के बीच की शादीशुदा महिलाओं के बीच कॉन्ट्रसेप्टिव प्रिवलेंस रेट यानी गर्भनिरोधक प्रचार दर सिर्फ 54 प्रतिशत है, जिसमें से सिर्फ 10 प्रतिशत महिलाएं ही ऐसी हैं, जो गर्भनिरोधक के तौर पर आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करती हैं. बड़ी संख्या में महिलाएं अब भी गर्भनिरोध के लिए सदियों पुराने तरीके जैसे माहवारी आवर्तन या फिर हर महीने के कुछ दिनों में पति के साथ शारीरिक संबंध-विच्छेद पर निर्भर हैं. गर्भनिरोध के आधुनिक तरीकों की बात करें तो इसमें कॉन्डम, महिलाओं और पुरुषों की नसबंदी, गर्भनिरोधक गोलियां और अंतर्गर्भाशयी यंत्र यानी इंट्रायूट्रिन डिवाइस यानि IUD शामिल है.

25 से 49 साल की महिलाएं नसबंदी को देती हैं तरजीह

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक 25 से 49 साल की शादीशुदा महिलाएं गर्भनिरोधक के तौर पर अपनी नसबंदी को तरजीह देती हैं.

पुरुषों का ये है कहना

इस सर्वे में 61 प्रतिशत पुरुषों ने कॉन्डम पर भरोसा जताया और कहा कि इसका सही इस्तेमाल अनचाही प्रेगनेंसी से बचाव करता है.

पंजाब में सबसे ज्यादा गर्भनिरोध का इस्तेमाल, बिहार, मणिपुर सबसे पीछे

गर्भनिरोधकों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल पंजाब (76 प्रतिशत) में होता है, वहीं देशभर में गर्भनिरोध के तरीकों का सबसे कम इस्तेमाल मणिपुर, बिहार और मेघालय में होता है, जहां इसका प्रतिशत सिर्फ 24 है. केंद्र शासित प्रदेशों की बात करें, तो गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल के मामले में 30 प्रतिशत के साथ लक्ष्यद्वीप सबसे पीछे है, जबकि 74 प्रतिशत के साथ चंडीगढ़ सबसे आगे.

ये बहुत अच्छी बात है कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में 6 लाख 1 हजार 509 घरों से साक्षात्कार किया गया था, जिसमें 98 प्रतिशत लोगों ने खुलकर अपनी बात रखी.