प्रतीक चौहान. रायपुर. अंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यृट (एसीआई) के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ स्मित श्रीवास्तव और अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने स्वतंत्रता दिवस की दूसरी सुबह यानी 16 अगस्त को 6 तथा 17 अगस्त को एक अन्य मरीज के अनियमित धड़कन कार्डियक एरिथमिया (शार्ट सर्किट) का उपचार रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन के माध्यम से करते हुए दिल की धड़कन में आयी खराबी को सफलतापूर्वक ठीक किया.
उपचार के बाद सभी मरीजों के दिल की धड़कन रिदम यानी लय (ताल) में है. एसीआई के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुए इस उपचार में 4 मरीज ऐसे भी थे जिनके दिल की धड़कनें एक बार अनियमित होने के बाद कई घंटों तक अनियंत्रित धड़कती रहती थी. दवाईयां देने के बाद भी तेज धड़कन की समस्या से निजात नहीं मिल रही थी. वहीं 3 मरीज वेंट्रीकुलर एरिथमिया के शिकार थे जिसमें कभी भी आकस्मिक मृत्यु की संभावना बनी रहती है.
इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी अध्ययन प्रक्रिया की सहायता से किये जाने वाले रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन प्रक्रिया में डॉ. स्मित श्रीवास्तव के साथ ओपन हार्ट सर्जन एवं विभागाध्यक्ष सीटीवीएस डॉ. कृष्णकांत साहू भी शामिल रहे ताकि उपचार के दौरान किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें.
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव बताते हैं कि दिल में ईश्वर के द्वारा बनाया गया विद्युत परिपथ यानी इलेक्ट्रिक सर्किट है जिस पर निरंतर विद्युत संकेतों का प्रवाह होता रहता है. यह प्रवाह सही ढंग से हो तो दिल सही ढंग से काम करता है वहीं इसमें खराबी आ जाये तो धड़कन अनियंत्रित हो जाती है. रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन प्रकिया में इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी अध्ययन की सहायता से पैर की नसों के माध्यम से हृदय में आयी खराबी तक पहुंचकर असामान्य क्षेत्र का पता लगाते हैं और रेडियो फ्रीक्वेंसी ऊर्जा से उत्पन्न होने वाली गर्मी का उपयोग कर असामान्य विद्युत संकेतों को अवरूद्ध कर देते हैं.
गुढ़ियारी निवासी 57 वर्षीय मरीज के एट्रियल फिब्रिलेशन (आलिंद विकम्पन) के कारण अनियमित धड़कन के केस में हार्ट के लेफ्ट एट्रियल के पल्मोनरी वेन में असामान्य इलेक्ट्रिकल गतिविधि दिखाई दे रही थी. इनके उपचार के लिए दिल की हाई डेंसिटी ग्रिड मैपिंग किया गया जिसमें एक-एक बिंदु को चिन्हित करके चक्र जैसा बनाया ताकि धड़कन जहां से आती है वह पूरा पृथक हो जाए फिर उस जगह दूसरे एब्लेशन कैथेटर लेकर गये ताकि वेन का करेंट आर्टरी में न आ सके. दोनों पल्मोनरी वेन को रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन के जरिये आइसोलेट किया गया.
क्यों होता है कार्डियक एरिथमिया
डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार, दिल की धड़कन अनियमित, तेज या धीमी होने के कारण दिल का सही ढंग से नहीं धड़क पाना ही कार्डियक एरिथमिया (अतालता यानी बिना लय या ताल के हृदय का धड़कना) या एरिद्मिया कहलाती है. ये समस्या दिल के विद्युत प्रवाह प्रणाली के असामान्य विद्युत संकेतों के प्रवाह के कारण होता है. इसके लक्षणों में अनियमित धड़कन, सीने में दर्द, बेहोशी या कई बार चक्कर आना शामिल है. अगर इसका समय पर उपचार नहीं हुआ तो ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक एवं लकवा की संभावना रहती है.
थ्री डी मैपिंग सिस्टम से दिल की ज्योमेट्री बनाई
एरिथमिया की समस्या से ग्रस्त मरीजों के उपचार से पहले एसीआई के कैथ लैब में स्थित इनसाइट प्रिसिजन थ्री डी मैपिंग सिस्टम मशीन से पहले दिल के विद्युत प्रवाह प्रणाली को देखकर जहां-जहां खराबी आ रही है उसकी त्रिआयामी ज्यामिति बनाई गई. इस मशीन के जरिये दिल की खराबी का सटीक आइडिया मिलता है तथा सफलता की संभावना ज्यादा रहती है.
इन मरीजों का हुआ उपचार
सोनडोंगरी रायपुर से 43 वर्षीय मरीज, नवापारा रायगढ़ से 18 वर्षीय मरीज, गुढ़ियारी रायपुर से 57 वर्षीय मरीज, कुरूद धमतरी से 27 वर्षीय मरीज, गोगांव रायपुर से 50 वर्षीय मरीज, सुकमा से 58 वर्षीय मरीज, अवंति विहार रायपुर से 34 वर्षीय मरीज
सहभागिता से प्राप्त हुई सफलता
दिल के उपचार की सफलता में एसीआई के कार्डियोलॉजिस्ट एवं विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के साथ इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिस्ट डॉ. अनुपम जेना, हार्ट चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जन एवं विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू, एनेस्थीसिया के विभागाध्यक्ष डॉ. के. के. सहारे एवं डॉ. अनिल गुप्ता, मॉडल ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. वी. कापसे ने सातों मरीजों के दिल की बीमारी का सफलतापूर्वक उपचार करने में अपनी सहभागिता निभायी. इसके साथ ही एप्लीकेशन इंजीनियर रूपाली एवं शौन तथा नर्सिंग स्टाफ से सिस्टर मीनाक्षी, बुधेश्वर, आनंद के साथ टेक्नीशियन जितेन्द्र चेलकर नीलम ठाकुर, खेम सिंह, प्रेम चंद, नीलिमा यदु एवं कुसुम का विशेष सहयोग रहा.
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