इन्द्रपाल सिंह नर्मदापुरम। मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले के इटारसी से 16 किलोमीटर दूर सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखला की गुफा पर स्थित देश का एकमात्र शिवालय जहां शिवलिंग पर सिंदूर से अभिषेक करते हैं। बताया जाता है कि इस स्थान पर भगवान गणेश ने सिंदूर नामक दैत्य का वध कर भगवान शंकर का राक्षस के रक्त से तिलक किया था। जिसके बाद इस स्थान का नाम तिलकसिंदुर पड़ा। श्रावण माह में प्रतिदिन श्रद्धालुओं का तांता तिलकसिंदुर में लगा रहता है।

शिवलिंग की जलहरी चतुष्कोणीय

मंदिर में स्थापित शिवलिंग प्राचीन है। शिवलिंग की एक विशेषता है कि जहां से भी शिवलिंग को मापा जाये तो चौड़ाई लम्बाई एक समान ही होगी। वहीं तिलकसिंदुर में शिवलिंग उत्तर की दिशा में है। अक्सर शिवालयों में शिवलिंग उत्तर दिशा की ओर नहीं होते है। देश में केवल तीन ही शिवलिंग की जलहरी चतुष्कोणीय है जिसमें ओंकारेश्वर, काशी विश्वनाथ और तिलक सिंदूर धाम के शिवलिंग है।

मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती

तिलकसिंदुर परिसर में पहाड़ों के बीच में पार्वती गुफा है। इस स्थान का भी अपना बड़ा महत्व है। पार्वती गुफा में कई देवियों की प्रतिमा स्थापित है। बताया जाता है कि इस मंदिर में जो भी महिला सच्चे मन से अपनी मनोकामना माता के सामने रखती है उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है। मंदिर में जो पत्थर लगे हुये है उनको भी हाथ से तोड़कर निकालने की पंरपरा है।पार्वती गुफा से जो महिलाएं पत्थर तोड़कर घर ले जाती है उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है।

भगवान शंकर भस्मासुर से बचने गुफा में रुके

इस स्थान की सबसे महत्वपूर्ण किवदंती है कि भगवान शंकर भस्मासुर से बचते हुये इस स्थान पर पहुंचे थे। कुछ समय तक भगवान शंकर भस्मासुर से बचने के लिये इस गुफा में रुके थे। लेकिन भस्मासुर भगवान को खोजते हुये यहां पहुंचा था। भस्मासुर से बचते हुये भगवान शंकर तिलकसिंदुर के पहाड़ से एक सुरंग बनांकर पचमढ़ी पहुंचे, जहां जटाशंकर का स्थान बना। भगवान इसी गुफा से पचमढ़ी पहुंचे थे। जानकारी शिवी रामशरण महंत अयोध्या ने दी।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m