Shri Yantra Benefits: शास्त्रों में वैभव और समृद्धि प्राप्त करने के अनेक उपाय बताए गए है, इनमें सबसे सहज, सरल और फलीभूत होने वाले उपायों में से एक है श्रीयंत्र की पूजा-उपासना. मान्यता है कि जिस घर में श्रीयंत्र की स्थापना होती है, वहां धन की देवी मां लक्ष्मी जरूर वास करती हैं.

अनूपपुर जिले की धार्मिक नगरी मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में स्थित मंदिर में भारत का पहला सबसे वजनी एक टन का श्रीयंत्र स्थापित है. चार द्वार वाले इस मंदिर में प्रथम में मां लक्ष्मी, द्वितीय में मां सरस्वती, तृतीय में मां काली और चतुर्थ में मां भुवनेश्वरी का प्रतिनिधित्व है. उनके नीचे भगवान गणेश और कार्तिक की मूर्तियों के साथ 64 योगिनियों की मूर्तियां हैं.

150 क्विंटल वजन का श्रीयंत्र उतराखंड में

साल 2018 में दुनिया के सबसे बड़े श्रीयंत्र की स्थापना उतराखंड के अल्मोड़ा में डोल आश्रम में हुई है. इस मंदिर में पांच देवी-देवताओं भगवान गणेश, विष्णु, शिव, शक्ति सूर्य और त्रिपुर सुंदरी का मंदिर स्थापित है. इसी कारण मंदिर को पंचधाम या पांचवां धाम भी कहा जाता है. यह श्रीयंत्र अष्टधातु से निर्मित है. जिसकी चौड़ाई लगभग 3.5 फीट है और वजन डेढ़ टन है.

रायपुर में भी है श्रीयंत्र मंदिर

रायपुर की पुरानी बस्ती, कुशालपुर स्थित ऐतिहासिक दंतेश्वरी मंदिर से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर सुमेरु मठ का गुंबद श्रीयंत्र आकार का बना है. दावा किया जाता है कि विश्व में यह एकमात्र श्रीयंत्र आकार का गुंबद है, जिसमें 43 कोण बने हैं और प्रत्येक कोण में पारद शिवलिंग है. अष्ट धातु से निर्मित एक श्रीयंत्र मंदिर रायपुर के खम्हारडीह-कचना मार्ग पर भी है.

श्रीयंत्र मंदिर की खास विशेषता यह है कि श्रीयंत्र का निर्माण मंदिर गर्भगृह के भीतर नहीं, बल्कि मंदिर के गुंबद के रूप में किया गया है. शास्त्रीय मान्यता के अनुसार मंदिर के गर्भगृह में श्रीयंत्र के नीचे पाठ व आराधना करने से हजार गुना फल प्राप्त होता है.

दीपावली पर श्रीयंत्र होता सिद्ध

श्रीयंत्र को सिद्ध करने के लिए वैशाख, ज्येष्ठ, कार्तिक, माघ आदि चांद्र मासों को उत्तम माना गया है. जो व्यक्ति दीपावली की रात्रि में इस यंत्र को सिद्ध करता है वह पूरे साल आर्थिक रुप से संपन्न रहता है. श्रीयंत्र में बना चक्र ही देवी का निवास स्थान है. इस यंत्र में देवी स्वयं विराजती हैं.

श्रीयंत्र की दक्षिणाम्नाय उपासना करने वाले व्यक्ति को भोग की प्राप्ति होती है और ऊध्र्वाम्नाय उपासना करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए कहा जा सकता है कि यह श्रीयंत्र मोक्ष तथा मुक्ति के लिए भी लाभ प्रदान करता है.

क्या मिलता है श्रीयंत्र लाभ

श्रीयंत्र की अधिष्ठात्री देवी महात्रिपुर सुंदरी (षोडशी देवी) हैं. इस यंत्र की उपासना यदि भक्तजन पूर्ण श्रद्धा से करते हैं, तब उन्हें आर्थिक रूप से भी लाभ मिलता है. इस यंत्र की पूजा महालक्ष्मी के रूप में भी की जाती है. इनकी पूजा से विशेष प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. श्रीयंत्र को धन लाभ का सबसे सशक्त एवं प्रभावशाली यंत्र माना गया है.

इस यंत्र के उपयोग से धन प्राप्ति के साथ-साथ शक्ति एवं अपूर्व सिद्धी की भी प्राप्ति होती है. इससे सम्पन्नता, समृद्धि एवं एकाग्रता प्राप्त होती है, साथ ही दरिद्रता दूर होती है.

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