रोहित कश्यप, मुंगेली. संस्कार ग्राम बांकी में मलूकपीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामी राजेन्द्र दास महराज ने कथा विश्राम दिवस में बताया कि महारास प्रसंग में मां पार्वती के प्रश्न गोप गोपियों के साथ भगवान श्रीठाकुर का नृत्य करना क्या उचित था. इसका समाधान बताते हुए भगवान शिव ने बताया परमब्रह्म भगवान श्रीकृष्ण विश्वस्वरूप है. प्रत्येक जीव उनके अंश है और प्रत्येक जीव का अंशी श्रीकृष्ण जी हैं. जैसे अपने समस्त शरीर मे हाथ फेरने से मन में कोई विकार उत्पन्न नहीं होता. वैसे ही भगवान श्रीठाकुर जी भी विश्वस्वरूप हैं. इसलिए उनके लिए इस तरह की विचार सर्वथा अनुचित है.

महाराज जी ने बताया कि अपने से बड़े या पूजनीय समर्थ के द्वारा किए गए कार्यों का अनुकरण नहीं कर उनके आदेश का पालन करना चाहिए. वो किस परिस्थिति में इस तरह के कार्य कर रहे हैं. ये सोचने का विषय होता है. समर्थ पुरुष के बताए शास्त्रोक्त विधिसम्मत नियमों व सिद्धांतो का पालन करना चाहिए. शास्त्रोक्त विधि पर चर्चा करते हुए स्वामी ने कहा कि विवाह से पूर्व कन्याओं को और वैधव्य स्थिति में महिलाओं को शास्त्रीय विधि अनुसार श्रृंगार वर्जित है. इसलिए कि विवाह से पूर्व श्रृंगार से विकृतियां आती है. इन नियमों को ब्रह्मज्ञानी त्रिकालदर्शी ऋषियों के द्वारा बनाया गया है, इसलिए शास्त्रीय विधिसम्मत नियमों का पालन सनातन धर्म को मानने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मानना चाहिए. उन्होंने बताया कि रासपंचाध्यायी का नियम व श्रध्दापूर्वक पाठ करने से हृदयरोग जैसे बड़ी बीमारी से भी मुक्ति पाया जा सकता है. सहज निष्काम प्रेम के संबंध में चर्चा करते हुए राजेन्द्र दास जी ने बताया कि अब अक्रुरजी श्रीकृष्ण जी को मथुरा से गोकुल आया था.

उन्होंने मथुरा लौटते समय गोपियों की निष्काम प्रेम को देखकर व्याकुल हो गए. श्रीकृष्ण जी ने जब गोपियों को समझाया कि आप लोग मथुरा जाने से न रोके क्योंकि मेरी उत्पति का कारण को पूर्ण करने का समय आ गया है, इसलिए हमें जाने से न रोकें. इस पर गोपियों ने कहा अब तो हमारे जीवन का लक्ष्य आपकी खुशी है. जिसमें आप खुश रहो, इसके लिए चाहे हमें क्यों न कितनो दुख उठाना पड़े.

स्वामी जी ने बताया कि कंस के पास जो धनुष थी उसे भगवान परशुराम ने दिया था. उस समय भगवान परशुराम ने एक भविष्यवाणी किए. जिस दिन इस धनुष को जो तोड़ देगा उसी दिन धनुष तोड़ने वाले के हाथों कंस का वध हो जाएगा. श्रीठाकुर को मारने के लिए कंस ने धनुष यज्ञ का आयोजन किया. इस दौरान श्रीठाकुर ने कंस का वध किए.

ग्राम बांकी में बघेल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा कार्यक्रम के दौरान भारी संख्या में लोगों ने कथा श्रवण किए तथा प्रतिदिन 2000 से अधिक लोगों ने सात दिनों तक भंडारा में भोजन ग्रहण किए.