भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला सहित चारों एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा कि मेरी यात्रा देशवासियों की यात्रा है। ड्रैगन अंतरिक्ष यान की डॉर्किंग प्रक्रिया जारी है। इस मिशन का संचालन भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला कर रहे हैं। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनकी एक्सिओम-4 (Ax-4) टीम का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर गर्मजोशी से स्वागत हुआ।

Shubhanshu Shukla Astronaut 634

स्वागत में गले मिलने और स्वागत पेय के साथ उनकी अगवानी की गई, जो इस ऐतिहासिक पल को और यादगार बनाता है। डॉकिंग के बाद 1-2 घंटे की सुरक्षा जांच पूरी होने के बाद हैच खोला गया।

शुभांशु और उनकी टीम का स्वागत गले मिलकर हुआ। पेगी व्हिटसन ने शुभांशु को गले लगाते हुए कहा कि हमारे नए दोस्त का स्वागत है। उन्होंने शुभांशु को स्पेस स्टेशन पर आने के लिए एस्ट्रोनॉट नंबर 634 का बैच लगाया। ISS क्रू ने उन्हें पानी की पाउच और फ्लेवर्ड ड्रिंक (जैसे नींबू पानी) पेश किए, जो माइक्रोग्रैविटी में स्ट्रॉ से पीए गए।

Shubhanshu Shukla Astronaut 634

शुभांशु ने कहा कि मुझे अपने क्रू और ISS टीम का गर्मजोशी भरा स्वागत देखकर बहुत खुशी हुई। यह मेरे लिए और भारत के लिए गर्व का पल है। डॉकिंग के बाद, शुभांशु और उनकी टीम 14 दिन तक ISS पर रहेंगे। शुभांशु ने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों आपके आशीर्वाद से मैं यहां तक सुरक्षित पहुंचा हूं।

Shubhanshu Shukla Astronaut 634

शुभांशु दीवारों पर लगे हैंडल और पैर के लूप का उपयोग करेंगे ताकि तैर न जाएं। वे वेल्क्रो स्ट्रैप के साथ स्लीपिंग बैग में सोएंगे। जिम में ट्रेडमिल और प्रतिरोध मशीनों का उपयोग करके वे मांसपेशियों को मजबूत रखेंगे। शुभांशु ने कहा कि यहां आना आसान लग रहा है पर है नहीं। सर थोड़ा भारी है। पर ये इस काम के लिए बहुत छोटी बात है।

Shubhanshu Shukla Astronaut 634

शुभांशु ने अपने साथ आमरस, गाजर हलवा और मूंग दाल हलवा लाए है, जो वे क्रू के साथ बांटेंगे। ISS पर फ्रीज-ड्राइड मांस, फल और सब्जियां भी उपलब्ध होंगी. शुभांशु और उनकी टीम 60 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें 7 भारतीय प्रयोग शामिल हैं।

Shubhanshu Shukla Astronaut 634

शुभांशु बीजों को उगाकर अंतरिक्ष में खेती की संभावना जांचेंगे। वे छोटे जीवों का अध्ययन करेंगे, जो कठोर परिस्थितियों में जीवित रहते हैं। शुभांशु के प्रयोग भारत के अंतरिक्ष भविष्य को मजबूत करेंगे। वे किबो लैब (जापानी मॉड्यूल) में माइक्रोस्कोप और बायोरिएक्टर का उपयोग करेंगे।

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