प्रतीक चौहान. रायपुर. सिकल सेल संस्थान में मरीजों को इलाज मिलना छोड़कर सबकुछ हो रहा है. न जाने यहां ऐसी क्या मलाई है कि यहां आए दिन नए-नए प्रकार की शिकायतें होती है, आरटीआई लगाई और लगवाई जाती है, एक पक्ष-दूसरे पक्ष पर आरोप लगते है और यहां मशीनों की खरीदी के बाद उसे कबाड़ में छोड़ दिया जाता है. साइंटिस्ट आते है और बिना कुछ काम किए वेतन लेते है और काम कोई और करता है.

अब यहां शिकायत का एक अनोखा मामला सामने आया है. 15 नवंबर 2021 को सिकल सेल संस्थान का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे डॉ पीके पात्रा पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए एक शिकायत की गई. शिकायत करने के बाद शिकायतकर्ता समस्त अधिकारी/कर्मचारीगठ बने. मीडिया के पास पहुंचाई गई शिकायत की कॉपी में हस्ताक्षर कर्मचारियों के किए गए है. पहली नजर में देखे जाने पर ये लगता है कि ये शिकायत डायरेक्टर से परेशान होकर कर्मचारियों ने की.

लेकिन लल्लूराम डॉट कॉम ने इस शिकायत की पड़ताल की तो पता चला कि इस शिकायत में जिसके हस्ताक्षर दिखाने की कोशिश की जा रही है (शिकायत वायरल करने वाले अधिकारी द्वारा) उनके द्वारा ऐसी किसी भी शिकायत में हस्ताक्षर नहीं किया गया है. लेकिन ये हस्ताक्षर फर्जी नहीं है.

पड़ताल आगे बढ़ी तो लल्लूराम डॉट कॉम को एक और शिकायत मिली. ये शिकायत डॉ आशीष कुमार सिन्हा तत्कालीन डायरेक्टर (अतिरिक्त प्रभार) के खिलाफ की गई 2 नवंबर 2020 में कर्मचारियों के जो हस्ताक्षर जैसे किए गए है वह उक्त वर्तमान शिकायत में पेस्ट कर दिए गए है. हालांकि दोनो में फर्क सिर्फ इतना है कि इस शिकायत में तारिख थी और वर्तमान में की गई शिकायत में तारिख एडिट कर दी गई है. लेकिन ये अपने आप में एक गंभीर मामला है, कि शासकीय कर्मचारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर ये शिकायत किसके द्वारा की गई और इसके पीछे का क्या उद्देश्य है.

ऐसी शिकायतों का ये कोई नया मामला नहीं है

सिकल सेल संस्थान में न जाने ऐसी क्या मलाई है कि यहां स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारी पदस्थ होना चाहते है और यहां की मलाई का स्वाद चखना चाहते है. कर्मचारियों की बात छोड़िए यहां की मलाई से आईएएस रैंक के बड़े अधिकारी भी अछूते नहीं रहना चाहते है और वे सीधे मलाई न चखकर अपने परिवार के सद्स्यों को इसका लाभ पहुंचा रहे है. जिसकी यदि ईमानदारी से जांच हुई तो चौकाने वाले खुलासे होंगे.

पिछले दिनों राहुल नाम व्यक्ति की भी एक ऐसी ही शिकायत यहां मिली थी, जिसे दूसरे पक्ष ने खोजने में महीनों दिमाग लगाने के बाद ये पता कर के बता दिया कि जिस कुशालपुर में रहने वाले राहुल नाम के व्यक्ति के हस्ताक्षर से शिकायत की गई है उसने कोई शिकायत नहीं की, उसने सिर्फ विभाग में आरटीआई लगाई थी. इसके अलावा भी यहां ऐसे कई उदाहरण मौजूद है. यानी इस सिकल सेल संस्थान में मरीजों को लाभ मिले न मिले, यहां कर्मचारी-अधिकारी काम छोड़कर एक दूसरे की शिकायत और शिकायत को गलत साबित करने की कोशिश पूरे दिनभकर कर सरकार से मोटी तंख्वा पूरोनी में मलाई के साथ लेना भी नहीं चूकते है.

दोनो शिकायत देखें… हस्ताक्षर की जगह है सेम टू सेम…

  1. New Doc 12-14-2021 18.23(2) (डॉ पीके पात्रा के खिलाफ की गई शिकायत)
  2. DM Complain(1) (डॉ आशीष कुमार सिन्हा के खिलाफ की गई शिकायत)